26.7.09

मां तुम सच बोलती हो...

वैसे मेरी मां को कोई न्यूज़ चैनल पसंद नहीं… लेकिन कहीं कुछ अच्छा या बुरा दिखता है तो रुक जाती हैं... कल भी ऐसा ही हुआ.. चैनल सर्फ कर रही थीं.. आज तक पर स्टार प्लस के सीरियल सच का सामना पर कार्यक्रम चल रहा था... जिसमें दिखाया जा रहा था कि इस सीरियल के ख़िलाफ़ किस तरह से देश में अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे... कुछ सेकंड रुकने के बाद माता जी का अगला पड़ाव था एनडीटीवी इंडिया... देबांग सच का सामना को लेकर मुक़ाबला कर रहे थे... कार्यक्रम में स्टार प्लस के एंकर राजीव खण्डेलवाल भी मौजूद थे... एनडी का ये पूरा कार्यक्रम सच का सामना के ख़िलाफ़ थी... मां ने बस इतना कहा “बकवास” और आगे बढ़ गईं... आगे एक चैनल पर कोई फ़िल्मी गाना चल रहा था... छोटे-छोटे कपड़ों में लड़कियों का डांस... अब मां का गुस्सा बाहर आ गया था... कहने लगीं एक सीरियल जो सच दिखा रहा है उसके ख़िलाफ़ सब खड़े हो रहे हैं... और ये सब जो हो रहा है इसके ख़िलाफ़ नहीं खड़े हो रहे... अगर भारतीय संस्कृति सच दिखाने से ख़राब हो रही है.. तो ये क्या है.. ये तो इस संस्कृति में जैसे चार चांद लगा रहा हो.. जो सब मौन हैं.. और मज़े से घर में देखते रहते हैं..

मां से मैंने कहा सच कड़वा होता है लोग बर्दाश्त नहीं कर पाते... मां ने जवाब दिया.. ग़लत जुमला है ये सच कड़वा नहीं होता.. सच तो ईश्वर है... सच हमेशा प्रिय होता है... सुननेवाले को कड़वा लगता है ये अलग बात है... कहा भी गया है सत्यम् शिवम् सुंदरम्.. सत्य ही शिव है... और शिव ही सुंदर है... यानि सत्य सबसे सुंदर है... मैंने बहस को बढ़ाने के लिए कहा अगर ऐसा है तो ये चैनलवाले बेवकूफ हैं जो इस पर बहस कर रहे हैं... मेरी मां आक्रामक हो गईं... बोल पड़ी मैं होती तो इनका मुंह नोच लेती... देश की संस्कृति की बात करते हैं... और संस्कृति में आग लगानेवाले यही हैं... और वो सच दिखानेवाला कार्यक्रम किस तरह से भारत की संस्कृति को नुकसान पहुंचा रहा है.. ये कोई नहीं बता रहा.. सब बस यही कह रहे हैं कि किसी के बेडरूम के सवाल पूछकर सामाजिक माहौल ख़राब किया जा रहा है... समझ में नहीं आता इससे सामाजिक माहौल कैसे ख़राब हो रहा है... कोई बताए भी तो कैसे सामाजिक माहौल ख़राब हो रहा है...

ख़ैर अब मैं इससे ज़्यादा अपनी मां से बहस नहीं कर सकता था.. क्योंकि मैं भी उस कार्यक्रम का समर्थक हूं... मां से बहस करने का मतलब बस इतना था कि एक अनुभवी महिला जो समाज का हिस्सा है उनकी सोच क्या है...

2 comments:

  1. R K KSHITIJ26/7/09 1:56 PM

    maa...jhooth nahi ho sakti...kyoki tabhi to maa hai

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  2. dhany hai aapki maa (mammi)aisi maa kisi ki bhi ho par meri na ho ,raha virodh pahle na karne ka savaal to agar unhone nahi dekha to iska matlab ye to nahi ki virodh huaa hi nahi aur fir sach kya keval ashlil savalo me chhupa hota hai ,satyam shivam sundaram keval sexy savalon me hi hote hain jara apni mammi se puchh kar batana .jaanbujh kar naam nahin likh raha hun bura na manna par prakashit jarur karna

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