16.7.09

शर्म शर्म शर्म शर्म शर्म ...............

-आवेश तिवारी

(ये पोस्टिंग आप मेरे ब्लॉग http://katrane.blogspot.com/2009/07/blog-post_15.html पर पढ़ सकते हैं , }



क्या आप कभी किसी गैर पुरुष के साथ सोयी हैं ?क्या आपने कभी अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ सम्भोग किया है ?क्या आपने अपने कभी अपने पिता को थप्पड़ मारा है ?क्या ये सवाल आपके मनोरंजन की वजह हो सकते हैं ?क्या आपको एक करोंड़ रूपए दिए जाएँ तो आप टीवी पर सबके सामने नंगे हो सकते हैं? अगर नहीं हो सकते हैं तो या तो आप निरा गंवार हैं या फिर आप मनोरंजन का मतलब नहीं समझते ,शायद यही सन्देश दे रहा है स्टार प्लस पर प्रसारित हो रहा धारावाहिक 'सच का सामना ' | आम आदमी की विवशता और उसके रुदन पर थोड़े से पैसे देने और ज्यादा से ज्यदा बटोरने को एक अमेरिकन धारावाहिक की हुबहू नक़ल करके बनाया गया ये हाई प्रोफाइल रियलिटी शो दरअसल रियलिटी शो नहीं रेप शो साबित होने जा रहा है ,आम आदमी की निजता को खुलेआम भरी भीड़ में नंगा कर देना और उसे दिखाकर ठहाके लगवाना ही इस रियलिटी शो का मकसद है ,ये मानवीय संवेदनाओं का खुलेआम बलात्कार करेगा और बार बार करेगा |आप में जिसके पास साहस हो वो ये सब कुछ देख सकता है, वैसे परम्पराओं और मूल्यों को एकता कपूर स्टाइल में टूटते देख रहे लोगों के लिए ये सब कुछ देखना बेहद आसान है | इस धारावाहिक में अब तक अपराधियों पर इस्तेमाल की जाने वाली पोलिग्रफिक मशीन जिंदगी की तमाम चुनौतियों से जूझते हुए आम इंसान के भीतर छुपे सच का पता लगायेगी | आपमें से जिसने भी १५ जुलाई के एपिसोड को देखा होगा ,वो शायद स्मिता को कभी जिंदगी में नहीं भुला पायें ,पोलिग्रफिक मशीन ने स्मिता के उस सवाल को झूट बताया जिसमे उसने अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द के साथ सोने की इच्छा होने की बात कही थी ,स्मिता अवाक थी उसके पति की आँखों में आंसू थे और दो जिंदगियों की तबाही की पटकथा लिख दी गयी थी |मैं थूकता हूँ हिंदी टेलीविजन इंडस्ट्री पर ,मुझे शर्म है सुचना एवंप्रसारण मंत्रालय की बुजदिली पर ,जो मत्रालय कम भाठियारखाना अधिक नजर आता है ,जिसके पास बार बार सब्र और शर्म की हदे तोड़ रहे इन चैनलों के ऊपर लगाम कसने की तो इच्छाशक्ति है और ही साहस ,,वो अपनी आँखों के सामने चैनलों पर जब छोटे बच्चों की कोमल मनोवृतियों को छिन्न भिन्न होते और बेहूदगी से एक बेहूदा अभिनेत्री को स्वयम्बर रचाते देख सकता है तो कुछ भी देख सकता है और माफ़ करिये मुझे शर्म खुद पर और आप पर भी है ,जो अपनी आँखों का सारा शील और सारी शर्म को ख़त्म करके कुछ भी देख सकते हैं ||
आइये अब वो देखने की बारी है जो अब तक आप नहीं देख सके ,एक देश की पूरी पीढी को धारावाहिकों के माध्यम से जिंदगी जीने का तथाकाथित सलीका सिखाने के बाद ये चैनल अब आपके भीतर छुपे सच को सबके सामने उगलवाएँगे,वो सच जो हर इंसान के भीतर छुपा होता है ,वो सच जो जिंदगी के उबड़ खाबड़ रास्तों पर पैदल चलते हुए पैदा होता है ,कभी कभी जीता है ,कभी कभी मर जाता है |अक्सर हम ख्यालों में बहुत कुछ ऐसा सोच लेते हैं जिन्हें सबके सामने कहना संभव नहीं होता वो सोच किसी भी नजदीकी के सम्बन्ध में हो सकती है परन्तु इसका मतलब ये तो नहीं की उसे व्यक्त किया जाए |हम सच कहते हैं कि जब मैं छोटा था तो खुद को पिता के हांथों पिटते देख मेरे मन में कई बार ख्याल आया की उठाऊं पत्थर, मार दूँ उन्हें ?परन्तु मैंने ऐसा नहीं किया ,वो क्षणिक था और आज मैं अपने पिता को शायद दुनिया में किसी भी बेटे से अधिक प्यार करता हूँ ,आज जो कुछ में हूँ उनकी वजह से हूँ ||शायद ऐसे सच की अभिव्यक्ति करना ही हमें विक्षिप्तता से बचता है ,एक पागल इंसान और आम इंसान में यही फर्क होता है |मौजूदा समय में विवाहेतर सम्बन्ध ,विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध आधुनिक भारतीय समाज का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं ,ये सही हैं या गलत लेकिन आप इनसे समाज को अलग करके नहीं देख सकते ,समाज के हर वर्ग के स्त्री पुरुष इसमें शामिल हैं ,ये स्वाभाविक है | इसे मर्यादा के विरूद्व भले मन जाए लेकिन अपराध कहना उचित नहीं होगा ,ये खुद को १०० फीसदी उडेल पाने से उपजी कुंठा का प्रतिफल है जिसमे कभी भी जीवन के किसी भी मोड़ पर , किसी के साथ भी मन की कोमल भावनाएं जुड़ जाती है ,इसका विवाह से कोई ताल्लुक नहीं होता ,लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हम भीड़ के बीच इन संबंधों का ढिंढोरा पीटें और पैसे की वसूली करें |उफ्फ्फ ,कैसे कर सकते हैं आप ऐसा ?

मुझे आश्चर्य होता है उन स्त्री पुरुषों पर जो इस तरह के धारावहिकों में शामिल होने के लिए सहर्ष राजी भी हो गए ,अपना अपना पोलिग्राफिक टेस्ट कराया ,और जिंदगी के सच की लड़ाई में तार तार होने के बावजूद बैठ गए हॉट सीट पर, धरावाहिक के प्रोमो में अब तक जिन चेहरों को दिखाया गया वो सिनेमा ,टी वी और खेल के क्षेत्र से जुडी हस्तियाँ थी ,जिनके लिए निजता भी प्रदर्शन की चीज होती है और जिसे वो बार बार पब्लिसिटी पाने के हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं,उन्हें फर्क नहीं पड़ता किबेहद व्यक्तिगत सच के प्रदर्शन से बेहद कोमल मानवीय संबंधों पर क्या असर पड़ने वाला है ,हाँ पहले एपिसोड को सनसनीखेज बनाने के लिए स्मिता को जरुर सामने बैठा लिया गया ,क्यूंकि इस एपिसोड में ऐसे सवाल थे जो अगर सामान्य जिंदगी में कोई किसी से पूछे तो वो जूता उठाकर मारने दौड़ा लेगा ,खैर वहां उत्तर के बदले पैसे थे |स्मिता अपने जीवन में किसी वक़्त अपने पति की हत्या कर देना चाहती थी ,उसके मन में एक बार बेवफाई का ख्याल आया था ,उसे लगता था की उसकी माँ उसके भाई को अधिक चाहती है की उसे |जहाँ तक मैं सोचता हूँ मध्यमवर्गीय परिवारों में ,पति के साथ कड़वे संबंधों का बोझ उठा रही कोई भी महिला किसी एक वक़्त में उसकी हत्या के बारे में सोच सकती है जहाँ तक बेवफाई का सवाल है हमने पहले भी कहा बेवफाई के मायने अब बदल चुके हैं ,खैर स्मिता ने स्वीकार किया कि किसी एक वक़्त वो ऐसा कर सकती थी ,आने वाले एपिसोड में लोगों से ये भी पूछा जायेगा की क्या आप विवाह के बाद खुद को बंधा हुआ महसूस करते हैं ,शादी के बाद अपने किसी गैर मर्द से प्रेम किया की नहीं और आप अपने बेटे को अधिक प्यार करते हैं या बेटी को |जिंदगी की लड़ाई में बार बार हार रहे हम और आप, सामने बैठे स्त्री पुरुष की निजी जिंदगी के पन्नों को चाय की चुस्कियों के साथ आँख गडा कर देखेंगे,और उधर सच का सामना करने के नाम पर जिंदगी की सबसे बड़ी बेवकूफी कर रहे लोग आंसू बहा रहे होंगे ,जो शायद आने वाले कल में भी उनकी आँखों से बहता रहेगा |

6 comments:

  1. आवेश जी,
    आपकी प्रतिक्रिया ऐसे reality show के लिए बिल्कुल सही है| बेहद आश्चर्य और दुःख हुआ इस कार्यक्रम के प्रसारण पर| अपनी निजी ज़िन्दगी को सार्वजनिक करने को साहस का नाम देकर यूँ वाहवाही बटोरना जाने किस दिशा की ओर हमें ले जा रहा| सिर्फ एक एपिसोड से एक नहीं कई जिंदगियां तमाम उम्र के लिए शर्मसार हुई, और पूरी ज़िन्दगी इसकी सज़ा भुगतती रहेगी|
    आश्चर्य है कि ऐसे कार्यक्रम के प्रसारण के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अनुमति दी कैसे? स्मिता जब इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने आई तो ये सारे प्रश्न उससे पहले ही किये गए थे, वो उसी वक़्त इसे छोड़ कर क्यूँ नहीं गई? क्या पैसा इतना महत्व रखता कि वो अपने साथ अपने घर परिवार सभी को शर्मिंदा कर सकी? सवाल सिर्फ इस एक शो का नहीं है, बल्कि समाज में पनप रहे जीवन-मूल्यों का है|
    सभी सवाल जो किये गए वो सामाजिक परिवर्तन की दिशा जानने केलिए एक अच्छा सर्वे हो सकता था बशर्ते कि ये महज सामाजिक अनुसंधान के लिए किया जाता, न कि मनोरंजन केलिए| और ऐसे सर्वेक्षण में पूर्णतः गोपनीयता रखी जाती है, न कि यूँ मानवीय रिश्तों को शर्मसार किया जाता है|
    स्त्री हो या पुरुष किसी की भी निजी ज़िन्दगी में झांकना अपराध है|
    सच-झूठ जानने के इस मशीन को देश के हित में लाया जाना चाहिए, न कि किसी के गोपनीय और निहायत ही निजी मामले को सार्वजनिक करना| अगर ऐसे चैनल इतना बड़ी हिम्मत रखते हैं तो उन्हें चाहिए कि हमारे पथ भ्रष्ट नेताओं, अधिकारियों और अपराधियों से सच उगल्वाएं जो देश का अहित कर रहे| बल्कि उनसे भी ऐसे व्यक्तिगत शर्मनाक प्रश्न नहीं किये जाने चाहिए जो हमने पहले एपिसोड में देखा है, सिर्फ देश और समाज से जुड़े प्रश्न होने चाहिए|
    हम सिर्फ चैनल को दोष नहीं दे सकते, ये हममें से हीं हैं जो ऐसे कार्यक्रम बनाते हैं, दिखाते हैं, इनका हिस्सा बनते हैं|
    आपको बहुत धन्यवाद जो इतने संवेदनशीलता से आपने इसे लिखा है| ऐसे आपत्तिजनक प्रसारण पर तुंरत रोक लगना चाहिए|

    मै उस ''बुरे भले'' वाले ब्लॉग पढ़ी हूँ, निहायत ही घटिया हरकत है उसकी| आप निश्चित हीं इस पर कार्यवाई करिए| मैं भी उस पर अपने विचार लिखी हूँ, कि वो आपका लेख है, आपका नाम शामिल करे|

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  2. jab veshya aur jyada gir jaati hai to dusari veshyaon ki dalaal ban jaati hai. vaise veshyayen bhi do prakar ki hoti hain ek pet bharne ke liye banti hai dusari mauj karne ke liye banti hai .jo mauj karne ke liye vaishya banti hai vah kitna gir sakti hai in dharavahikon se pata lagta hai.aap bhi jyada tension na len baaba ramdev ki kapalbhati-anulomvilom kiya karen karvaya karen sab thik hona shuru ho jayega. meri tippniyan hindi me nahin badalti kuchh karen dhanyavaad

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  3. ये धारावाहिक जब तक भारत की परिवार संस्‍था को समाप्‍त नहीं कर देती तब तक चैन से नहीं बैंठेगी। इन्‍हीं चाहिए मुक्‍त व्‍यक्ति। सारे ही बंधनों, आचार-संहिता से परे व्‍यक्ति। पैसा कमाकर, भोगवाद की दुनिया में माइकल जेक्‍सन ने भी कदम रखा था, क्‍या परिणाम हुआ? ऐसा ही ये करना चाहते हैं। आपने पोस्‍ट लिखी, बहुत बधाई और ऐसे ही तेवर बनाए रखें।

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  4. aap ne achcha likha hai.. badhai. jeevan isi ka naam hai.. par achchai par bhi vishwas rakhe duniya me achche log bhi hai...maine to tv dekhna lagbhag chod diya hai...

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  5. hallo your comment is really admirable.

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  6. aapne bilkul sach likha, aajkal ke reality shows ne sari simaye par kar di hain. specialy aise reality shows par to ban laga dena chahiye. waise hum khud inse dur rahe sakte hain, kyonki kuch aise bhi log hain jinhe ye shows pasand hain. saath hi hum kis information n broadcast ministry se aise programmes band karane ki ummeed karein, jabki sirf phayade ke liye na jane kitane aise hi shows chalaye ja rahe hain.

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