29.7.09

टूटे चश्मे से दुनिया देखता एक पत्रकार


सीलन से भरे एक घर में एक औरत लगभग चीख-चीख के रो रही थी। आस-पास छोटी सी भीड़ की शक्ल में कुछ लोग खड़े थे जो लगातार उसे घूरे जा रहे थे...। घर में घुसते वक्त उसे दूर-दूर तक किसी कैमरे को न देख खुशी का अहसास हुआ...। उसके आफिस के लगभग सोनीपत से सटे होने के बावजूद वो फिर से सबसे पहले स्पाट पर पहुंचा था....। आएगा सालों का फोन ट्रांसफर मांगने के लिए...वो बुदबुदाया......

जानना चाहेंगे फ़िर क्या हुआ.... जानिए इस ब्लॉग पर....

http://nayikalam.blogspot.com/


1 comment:

  1. haardik badhaai !
    umdaa post
    behtareen aalekh...............

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