जहाँ नारी की पूजा की जाती है वहां देवताओं का वास होता है.......भारत का इतिहास रहा है की यहाँ नारी और कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता रहा है.....चाहे वो धन की देवी लक्ष्मी हो, विद्या की देवी सरस्वती हो , शील स्वरुप माँ दुर्गा हो या दुष्टों का संहार करने वाली काली, पूजा सबकी की जाती है.....हमारी संस्कृति और सभ्यता के प्रमुख अंग,त्योहारों में से कई ऐसे त्यौहार हैं जिनमे कन्यायों,लड़कियों की पूजा की जाती है.....लेकिन आज उसी कन्या को कई मानसिक रूप से विकलांग लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं......इसे सो़च की संकीर्णता नही तो और क्या कहेंगे........कहते हैं औरत और जुल्म का नाता सदियों पुराना है....मानव सभ्यता का विकास जैसे जैसे रफ़्तार पकड़ता गया, महिलाओं का शोषण भी बढ़ता गया ..........जबसे समाज पुरूष प्रधान हुआ है महिलाओं की स्थिति बद से बदतर होती चली गई है......महिला शक्ति से परिचित पुरूष ने उसे दबाना शुरू किया .....नारी को शिक्षा, धार्मिक अनुष्ठान और कई विधाओं से बेदखल कर उसे घर की चारदीवारियों तक सीमित कर दिया........सन १९४७ में देश की तस्वीर बदली और भारत गुलामी से आजाद हुआ लेकिन ये आज़ादी देश की थी महिलाओं की नहीं.......२१ वीं सदी आई तो पुरा परिदृश्य ही बदल गया....औरत ने हर क्षेत्र में अपनी बुलंदी के झंडे गाडे लेकिन इस बदलाव के साथ महिला शोषण के तरीके भी बदल गए.....अब ये शोषण घर की चारदीवारियों से लेकर बीच चौराहों तक जा पहुंचे ....लेकिन इस शोषण की जिम्मेदारी कौन ले ???क्या यही है नारी की तस्वीर?? ...आख़िर ये शोषण कहाँ तक होगा....??मैं बात कर रहा हूँ महिलाओं के सामाजिक अधिकार, मानवीय अधिकार की.....हमारे देश के कई हिस्सों में आज भी एक कन्या के जन्म पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है....जिसे हमारी संकीर्णता का परिचायक माना जा सकता है..........कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध के बोझ तले हमारा समाज दबता चला जा रहा है....अजन्मी कन्या को सूर्य की पहली किरण देखने से पहले ही माँ की कोंख में मार गिराया जाता है....लेकिन ये समस्या किसी एक ज़ाति,सम्प्रदाय या प्रान्त की नही बल्कि पुरे देश की है......बेटे की चाह रखने वाले लड़की के जन्म लेने से पहले ही उसे कोंख में मार देते हैं॥और ये हमारे देश के लिए कोई नई बात नही है.....इस अमानवीय परम्परा में आधुनिक तकनीकों के ग़लत प्रयोग से कन्या को गर्भ में ही मारकर उसे जन्म के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है.....आज मनुष्य की पुत्र कामना की कमजोरी को बखूबी समझते हुए बाजार की ताकतें भी अपने स्वार्थ के लिए इस घिनौने कृत्य में शामिल हो गई हैं........महिलाओं के विरूद्ध इस अमानवीय व्यवहार को अकेला अपराध नही कहा जा सकता ....सभी सामाजिक और आर्थिक स्थितियां इस बात की प्रमाण है की ये अमानवीय अपराध महिलाओं के प्रति भेदभाव पूर्ण रवैये की अलग दिशाओं के मात्र उदहारण हैं.......दहेज़ हत्या ,बलात्कार, यौनशोषण ...ये सब महिलाओं के प्रति भेदभाव के स्पष्ट उदहारण के रूप में साफतौर पर देखी जा सकती है......भ्रूण हत्या ....एक ऐसा सच जिसे झुठलाया नही जा सकता और इस अपराध को सबसे जघन्य अपराध भी माना जा सकता है....लेकिन उसके बावजूद भी ये अपराध बदस्तूर जारी है.....
ओस की बूंद सी होती हैं बेटियाँ.....
स्पर्श खुरदुरा हो rotie हैं बेटियाँ......
रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को
दो दो कुलों की लाज को धोती हैं बेटियाँ.....
कोई नही है एक दुसरे से कम
हीरा अगर है बेटा तो सच्चा मोती है बेटियाँ.......
इन पंक्तियों का काफी महत्व है..लेकिन आज इस दर्दभरी पुकार को कोई नही सुनता...ख़ुद वो माँ भी नही सुनती जिसने उसे अपनी कोंख में पाला है......ऐसे में माँ की परिभाषा के क्या मायने हो सकते हैं आप ख़ुद ही अंदाजा लगा लीजिये......भारत में लड़कियों से भेदभाव कोई नई बात नही है......ये भेदभाव पहले भी होता रहा है..उस समय लड़कियों का जन्म होते ही उन्हें मार दिया जाता था...आज इसकी जगह ले ली है नई तकनीकों ने ...........भ्रूण हत्या से तो ऐसा लगता है की मानो कलयुग की निर्दयी हवा ने माँ के दिल की करुना सुखा दी है.....इसीलिए तो भ्रूण हत्या रुकने का नाम नही ले रही...अगर ये सिलसिला यु ही चलता रहा तो भारतीय जन गणनाओं में कन्याओं की घटती संख्या में भरी असंतुलन पैदा हो जाएगा ....अगर जनसँख्या के लिंगानुपात की बात करें तो १९९१ से २००१ में बच्चों के लिंगानुपात में गिरावट आई है जो अनुपात १९९१ में ९४५ लड़कियां प्रति १००० लड़का थी वो २००१ में ९२७ लड़कियां प्रति १००० लड़कों तक रह गई है.......अगर यही हाल रहा तो वक्त ऐसा भी आ सकता है की लड़कों की तुलना में लड़कियां रहेंगी ही नही...........अब हमें ये सोचना है की आख़िर ऐसा अमानवीय बर्ताव क्यूँ.....जिस देश की राष्ट्रपति एक महिला ......जहाँ की महिलाओं ने देश ही नही पुरे विश्व में अपनी सफलता के परचम लहराए हैं...उसी देश की ये स्थिति क्यूँ ....???अब तो जागो ..!!!!!
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