-अमित कुमार बाजपेयी-
"जिनका हौसला बुलंद, काम चाक चौबंदऔर कद हिमालय से ऊंचा होता है,
हर शब्द में अर्थ बात में तथ्य
और खुदी में सामथ्र्य होता है
लेखनी में दम आवाज में वजन
और नहीं माथे पर शिकन होता है।।
जिन्हें खुद के नहीं बाकी दुनिया के परिवार
और दुख-दर्द से मतलब होता है,
जिनके पास हर वक्त, वक्त कम रहता है
और काम का जुनूं हमेशा सिर पर रहता है,
जिन्हें जगह, समय और डर नहीं सताता है
कैसी भी हो स्थिति कत्र्तव्य निभाना आता है।।
और दुख-दर्द से मतलब होता है,
जिनके पास हर वक्त, वक्त कम रहता है
और काम का जुनूं हमेशा सिर पर रहता है,
जिन्हें जगह, समय और डर नहीं सताता है
कैसी भी हो स्थिति कत्र्तव्य निभाना आता है।।
हर रोज निभाते अपने वादे
खुद जागकर दुनिया को हैं सुलाते,
खतरों से हैं खेलते, नहीं कभी कतराते
जिनके मजबूत हौसले हैं न कभी डगमगाते,
जो लिखते हैं सच और सच हैं दिखाते
सच लिखने से नहीं है कभी घबराते।।
खुद जागकर दुनिया को हैं सुलाते,
खतरों से हैं खेलते, नहीं कभी कतराते
जिनके मजबूत हौसले हैं न कभी डगमगाते,
जो लिखते हैं सच और सच हैं दिखाते
सच लिखने से नहीं है कभी घबराते।।
वो जो नहीं हैं कुछ खास
कलम के सिवा नहीं है कुछ पास
लेखनी है जिनकी साज
खामोशी को दें आवाज
नित करें नई सुबह का आगाज
अमित, ऐसा जुदा उनका अंदाज।।
कलम के सिवा नहीं है कुछ पास
लेखनी है जिनकी साज
खामोशी को दें आवाज
नित करें नई सुबह का आगाज
अमित, ऐसा जुदा उनका अंदाज।।
हमेशा ही रहता जिनका दिन
न होती कभी शाम
किसी भी कीमत पर नहीं डिगता इमान
नानक ईसा रहीम या राम
इनके लिए सभी एक समान
केवल इंसानियत जिनका मजबह
नहीं किसी धर्म की पहचान।।
न होती कभी शाम
किसी भी कीमत पर नहीं डिगता इमान
नानक ईसा रहीम या राम
इनके लिए सभी एक समान
केवल इंसानियत जिनका मजबह
नहीं किसी धर्म की पहचान।।
बुराईंयां जिन्हें नहीं हैं डरा पातीं
सफलता के और करीब हैं पहुंचातीं
स्वभाव में सरलता अभिव्यक्ति में स्पष्टता
और सच बोलना जिसकी निशानी है
सबकी मदद, तथ्य की सनद
और काले अक्षर जिसकी कहानी है।।
सफलता के और करीब हैं पहुंचातीं
स्वभाव में सरलता अभिव्यक्ति में स्पष्टता
और सच बोलना जिसकी निशानी है
सबकी मदद, तथ्य की सनद
और काले अक्षर जिसकी कहानी है।।
जिनकों हर पल की रहती खबर
नहीं रहने देते आपको बेखबर
जिनका न कोई सोम या रविवार
जिन पर हर बच्चे-बड़े-बूढ़े को है ऐतबार
एक ऐसी ही शख्सियत का जिससे सरोकार
नहीं रहने देते आपको बेखबर
जिनका न कोई सोम या रविवार
जिन पर हर बच्चे-बड़े-बूढ़े को है ऐतबार
एक ऐसी ही शख्सियत का जिससे सरोकार
हम ही हैं ऐसे
एक पत्रकार
"
एक पत्रकार
"
(रचनाकार अमित से संपर्क ९८९९२९७५१९ या फिर amit.bajpai2000@gmail.com के जरिए किया जा सकता है)
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