जीवन सरिता का पानी ,
लहरों की आँख मिचौनी ।मेघों का मतवालापन ,
बरखा की मौन कहानी॥गल बाहीं डाले कलियाँ,
है लता कुंज में हँसती।चलना,
जलना ,
जीवन हैआहात स्वर में हँस कहती॥संसार समर में कोई,
अपना ही है न पराया।सम्बन्ध ज्योति के छल में,
जीवन है केवल छाया॥डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल '
राही'
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