यशवंत भाई सबसे पहले तो मित्र दिवस की अनौपचारिक शुभकामनायें. ये बात अलग की ये दिवस औपचारिक है. अरविन्द जी की पुस्तक पर महाश्वेता देवी की टिप्पणी (बनाम समीक्षा) पढने को मिली. अरविन्द जी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ. वे जितने सज्जन और सुलझे हुए इंसान हैं उतने ही अच्छे लेखक भी. अरविन्द जी ने अपनी इस पुस्तक में डाक विभाग के कुछ ऐसे पहलुओं से पाठकों को वाकिफ़ कराया है जो अब तक अनछुए थे. अरविन्द जी को पुनः बधाई
यशवंत भाई सबसे पहले तो मित्र दिवस की अनौपचारिक शुभकामनायें. ये बात अलग की ये दिवस औपचारिक है. अरविन्द जी की पुस्तक पर महाश्वेता देवी की टिप्पणी (बनाम समीक्षा) पढने को मिली. अरविन्द जी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ. वे जितने सज्जन और सुलझे हुए इंसान हैं उतने ही अच्छे लेखक भी. अरविन्द जी ने अपनी इस पुस्तक में डाक विभाग के कुछ ऐसे पहलुओं से पाठकों को वाकिफ़ कराया है जो अब तक अनछुए थे. अरविन्द जी को पुनः बधाई
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