-दीपक शर्मा-
गुडगाँव मै फिर फेक कर चली गई एक माँ अपने एक दिन के बेटे को.... कर दिया माँ शब्द को शर्मसार, आए दिन मिल रहे है ऐसे नवजात, जिनमे कुछ तो मारे जाते है और कुछ को आवारा जानवर खा जाते हैआखिर क्यों फेक दिया जाता हे जन्म के बाद बच्चे को - सुनसान जंगल कि झाडियों मै मरने के लिए ... क्या फेक जाते हे ...एक माँ वो जो ओलाद के लिए तरसती हे .. और एक वो माँ जो अपने जिगर के टुकड़े को जन्म देने के बाद सुनसान जंगल मै अपने बच्चे को मरने के लिए छोड़ जाती हे ऐसे मै माँ की ममता पर कई सवाल उठ जाते हे और कभी -कभी बच्चा आख खोलने से पहले ही दम तोड़ देता हे और मरने से पहले अपनी माँ से यह जरुर पूछता होगा कि आखिर जनम से पहले मेरा क्या कसूर था जो मुझे इन झाडियों मै फेक कर चली गयी
गुडगाँव में आए दिन कूडे दान या किसी नाले में कोई न कोई नवजात शिशु मिलते ही रहते है जिनमे से अधिकतर तो जानवरों की भूख का शिकार हो जाते है तो कुछ की शिशु इसे होते है जो जिन्दा बचते है ऐसा ही एक मामला एक बार फिर गुडगाँव मै देखने को मिला जब एक माँ अपनी बच्ची को जनम देने के बाद गुडगाँव के ओल्ड d. l. f सुनसान जगह कूडे के ढेर मै फेक कर चली गयी लेकिन (जोको रखे साईया मार सके न कोय ) दो दिन के इस ननहे से बच्चे कि रोने कि आवाज सुन कर नजदीक धोबी का काम करने वाले ने जब देखा तो उससे रहा नही गया और उस ननहे से बच्चे को गोद मै उठा कर सिने से लगा लिया लेकिन नन्हे बच्चे कि हालत नाजुक देख वह उसे ने पुलिस को फोन किया पुलिस ने मोके पर पहुच कर ननहे से बच्चे को धोबी का काम करने वाले व्यक्ति के पास से लिया और कार्रवाही कर नन्हे बच्चे को का इलाज करवाने के लिए सरकारी हॉस्पिटल को सोप दिया गया अब हॉस्पिटल के डॉक्टर इस नन्हे बच्चे कि परवरिश कर उसका इलाज कर रहे हे हॉस्पिटल की नर्स अब इस बच्चे को माँ का प्यार दे रही हे लेकिन अभी तक इस बच्ची को लेने कोई नही आया
एक जानवर भी अपने बच्चे को जन्म देने के बाद तब तक अपने से अलग नही करता जब तक वो चलना शुरू न कर दे फिर इन्सान बच्चे को जन्म देने के बाद सुनसान जंगल कि झाडियों मै मरने के लिए फेक क्यों अपनी हेवानिय्त दिखा रहा हे जिस बच्चे को इस समय जन्म देने वाली अपनी माँ की गोद मै होना चहिये था आज वही माँ का प्यार एक हॉस्पिटल की नर्स दे रही हे .. इंसानियत के नाते जब तक इस बच्चे को लेने कोई नही आता तब तक इस बच्चे कि परवरिश हॉस्पिटल ही करेगा और फिर हरियाणा के पचकुला मै सरकारी कार्रवाही कर नन्हे बच्चे को किसी संस्था को सोप दिया जायगा लेकिन बच्चे को प्यार और ममता तो एक माँ ही दे सकती हे जिसे उसने अपने खून से सीचा हे लगातार गुडगाँव के खली प्लांटो व् कूडे दान में मिल रहे बच्चो के विषय पर गुडगाँव पर्शासन ने भी कदम उठाया और गुडगाँव के सरकारी हॉस्पिटल मै पालना योजना के तहत एक पालना रखा हुआ हे जिसमे कोई भी अपने बच्चे को जनम देने के बाद सुनसान जंगल की झाडियों मै फेके ने की जगह इस पालने मै रख कर जा सकता हे जिसकी परवरिश हरियाणा सरकार के द्वारा की जायेगी उसके बावजूद भी जन्म के बाद बच्चे को सुनसान जंगल कि झाडियों मै फेके ने का सिलसला रुकने का नाम नही ले रहा अभी पाच दिन पहले भी एक दो दिन की नन्ही बच्ची को कोई सुनसान जंगल कि झाडियों मै मरने के लिए फेक गया था
गुड़गांव से दीपक शर्मा की रिपोर्ट
जानवर अपने बच्चे को पैदा करने के बाद इसलिए नहीं छोड़ते क्योंकि उनकी दुनिया में बाप का नाम नहीं पूछा जाता. अगर बाप का नाम पूछा जाने लगेगा तो शायद उन बच्चों का बाप उन्हें छोड़कर नहीं जायेगा, जैसे कि इंसानों की दुनिया में होता आया है. माँ शब्द को इतना महिमामंडित करने के पीछे आदमी की सोच क्या रही है? इसका दर्द तो उससे ही जाना जा सकता है जिसने इसे झेला हो, चाह कर भी अपने बच्चे को पाल न पाई हो.
ReplyDeleteजानवर अपने बच्चे को पैदा करने के बाद इसलिए नहीं छोड़ते क्योंकि उनकी दुनिया में बाप का नाम नहीं पूछा जाता. अगर बाप का नाम पूछा जाने लगेगा तो शायद उन बच्चों का बाप उन्हें छोड़कर नहीं जायेगा, जैसे कि इंसानों की दुनिया में होता आया है. माँ शब्द को इतना महिमामंडित करने के पीछे आदमी की सोच क्या रही है? इसका दर्द तो उससे ही जाना जा सकता है जिसने इसे झेला हो, चाह कर भी अपने बच्चे को पाल न पाई हो.
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