13.9.09

लंबे दिन

याद हे
पहले के दिन कितने
बड़े होते थे
अम्मा तीन बार जगाती थी
तब कहीं ७ बजा करते थे
नाश्ता करके
उछलते हुए स्कूल जाना
रास्ते मैं ठेले से केले खींचकर खाना
आधी छुटी में स्कूल के बाहरखड़े ठेले से चाट खाना
छुटी होते ही दोड़ते हुए
घर की तरफ़ भागना
कितना मजा था
उन दिनों का
अम्मा का दौड़ा दौड़ा कर खाना खिलाना
और समय होता था केवल २
वाकई पहले के दिन कितने
बड़े होते थे
थक कर जब अम्मा की गोद मैं
सोया करते थे
पर आज न वो दिन रहे
न ही अम्मा रही
कब सुबह, कब रात हुयी
पता ही नही चलता
न वो गोदी रही
न वो प्यार रहायाद हे पहले के दिन कितनेबड़े होते थे ....... .....

2 comments:

  1. बधाई ,
    बहुत सुंदर कविता लिखी
    है आप ने ,
    तीस साल पीछे पहुंचा दिया आप ने.
    पुराने दिन याद आ गए ,वह स्कुल के दिन,
    वह गलियां , माँ का खाना खिलाना .
    भाई आप ने कमल कर दिया .
    एक बार फिर से बधाई.
    प्रदीप श्रीवास्तव
    निजामाबाद
    आन्ध्र प्रदेश

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  2. samay ke sath har kisi ko badalna padta hai

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