3.10.09

लो शाम हुयी याद आएगी


लो शाम हुयी याद आएगी
कब तक वो हमें तडपायेगी
तुझसे मिलने की आस लिए
दिल की धड़कन रुक जायेगी
यूँ जाम उठा तो लेता मैं
पर ये नज़र झुक जायेगी
जीने की तमन्ना ही कब थी
पर मौत हमें कब आएगी
हर शाम ये कहती हे मुझसे
वो आज नहीं कल आएगी
वो आयें तो क्या होगा ए खुदा
जब उमर ही मेरी ढल जायेगी

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