बच गए अपने महात्मा गाँधी। वरना आज कहीं मुहँ दिखाने लायक नहीं रहते। घूमते रहते इधर उधर नोबल पुरस्कार को अपनी छाती से लगाये हुए। क्योंकि वे भी आज बराक ओबामा के साथ खड़े होने को मजबूर हो गए होते। बच कर कहाँ जाते। उनको आना ही पड़ता। अब कहाँ अपने लंगोटी वाले गाँधी और कहाँ हथियारों के सौदागर,अमन के दुश्मन,कई देशों पर बुरी निगाह रखने वाले,पाक के सरपरस्त अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा। गाँधी जी के साथ खड़े होकर ओबामा की तो बल्ले बल्ले हो जानी थी।
बराक ओबामा को नोबल पुरस्कार की घोषणा के बाद अब यह बात मीडिया में आ रही है कि हाय हमारे गाँधी जी को यह ईनाम क्यों नहीं मिला। कोई इनसे पूछने वाला हो कि भाई क्या हमारे गाँधी जी को उनके शान्ति के प्रयासों के लिए किसी नोबल ईनाम वाले प्रमाण पत्र की जरुरत है! गाँधी जी तो ख़ुद एक प्रमाण थे शान्ति के, अहिंसा के। उनको किसी ईनाम की आवश्यकता नहीं थी। बल्कि नोबल शान्ति पुरस्कार को जरुरत थी गाँधी जी की चरण वंदना करने की। तब कहीं जाकर यह नोबल और नोबल होता। गाँधी जी तो किसी भी पुरस्कार से बहुत आगे थे। इसलिए यह गम करने का समय नहीं कि गाँधी जी को यह ईनाम नहीं मिला। आज तो खैर मनाने का दिन है कि चलो बच गए। वरना बराक ओबामा और गाँधी जी का नाम एक ही पेज पर आता, शान्ति के पुजारी के रूप में। नारायण नारायण।
vah! kya baat hai!bilkul sahee! bhai naaradmuni jee se kya bach sakti hai!aa gaye naa obaama saheb line pe!obaama saaheb please hindi blogs ko bhee kabhee-kabhee padh liya karo! shayad noble gunaa noble mil jayee! dhanya hai noble kee mayaa! jai raam jee ee.
ReplyDeletepankaj-goshthi pariwaar(pankajgoshthi.org
bahut hi sahi baat...
ReplyDeleteBarak Obama aur Gandhi ji ..!!
swaal hi nahi uthta...
Aji kahan Raja Bhoj aur kahan Gangu Teli !!!!
huuuhhh...
pata nahi kitna baar paida hona padeka Barak Obama ko ek hi prishth par aane ke liye...
aji rehne dijiye ye NOBEL puraskaar...na chaahi ji..