अमेरिकी व्हाइट हाउस से लेकर विश्व के तमाम स्थानों पर रोशनी का पर्व दीवाली मनाया गया। लेकिन, मुम्बई से सटे ठाणे की दीवाली शायद उन आतिशबाजों को सबक दे सके, जिन्होंने छह फायरकर्मियों की लाशों पर यह उल्लास का पर्व मनाया। जी हां, दीवाली की रात यहां फायर विभाग के छह कर्मियों व उनके परिवारों के लिए वह मनहूस काली रात बनी, जो घटना को सुनने वाले हर किसी को सिहरा गई। ठाणे के वागले स्टेट की एक इमारत में लगी आग बुझाने की कोशिश में फायर विभाग के छह कर्मियों ने लिफ्ट में फंस कर अपना दम घुटा लिया। फिलहाल, आग लगने के कारणों की जांच पड़ताल हो रही है और संभवत: इस पड़ताल में किसी पटाखे के धमाके की गूंज सुनाई दे जाएगी, पर वह पटाखा छोडऩे वाले शायद ही नींद से जागें। हर कोई ग्रीन दीवाली का नारा दे रहा है, पर उन लोगों के लिए यह बेवकूफाना बातें हैं, जो पर्व को मस्ती का नाम देते हैं। ऐसे में, अगर लाशों पर चढ़कर इस प्रकार की दीवाली मनानी हो, तो फिर मुम्बई के हमलावर कसाब और उन आतिशबाजों में शायद ही फर्क हो, जिन्हें अपनी तथाकथित मस्ती से किसी की जान जोखिम में डालने में मजा आता है।
सर्वेश पाठक
बिल्कुल सही.
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