14.10.09

लिखूं गजल इक तेरे नाम



-राजेश त्रिपाठी

लिखूं गजल इक तेरे नाम
-राजेश त्रिपाठी

तेरी हंसी को सुबह लिखूं,
और उदासी लिखूं शाम ।
आज बहुत मन करता है,
लिखूं गजल इक तेरे नाम।।
जुल्फें ज्यों सावन की घटा,
चेहरे में पूनम सी छटा ।
नीलकंवल से तेरे नयन,
मिसरी जैसे मीठे बचन।।
गालिब की तुम्हें लिखूं गजल,
और लिखूं इक छवि अभिराम।। (लिखूं गजल---)
सुंदरता को कर दे लज्जित,
ऐसी तू शफ्फाक बदन।
तेरे कदमों की आहट से,
खिल उठे मुरझाया चमन।।
तुझे जिंदगी लिखूं मैं,
और एक खुशनुमा पयाम।। (लिखूं गजल---)
मतलब भरे जमाने में,
इक गम के अफसाने में।
तुम ही हो इक आस किरण,
बस तुम ही हो जीवन धन।।
तुमको ही दिन-रात लिखूं,
लिखूं तुम्हें ही सुबहो-शाम (लिखूं गजल---)
आती जाती सांस लिखूं,
इक मीठा अहसास लिखूं।
जीवन का पर्याय लिखूं,
और भला क्या हाय लिखूं।।
तुम्हें लिखूं दिल की धड़कन,
खुशियों की हमनाम लिखूं। (लिखूं गजल..)

1 comment:

  1. उत्तम सौन्दर्य बोध .........

    उम्दा काव्य

    अभिनन्दन !

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