26.10.09

रुला दिया है मुझे...

तेरी यादों की चादर ओढे मै सो तो रहा था,
पर ख्वाबो में तेरी यादों ने फिर जगा दिया है मुझे...

मेरे दिल ने तुझे बेवफा भी न कहा था,
पर मेरे अहसासों ने मुझसे चुरा लिया
है तुझे...

अब इन धडकनों का मैं क्या करू जो तेरे नाम से धड़कती है,
मैंने तों जीवन की डोर को ही थमा दिया
है तुझे...

वीरानियों में, वीरां मकां में मैं रह तो रहा था,
तेरे खलूस ने वीरां बना दिया
है मुझे...

और क्या कहूँ तुझसे ऐ दिलनशी,
तेरी खुशबु ने मेरे जहाँ को महका दिया...

अँधेरे रास्तों में मै चल तो रहा था,
तेरे नूर ने सारे
रास्तों को जगमगा दिया...

भीड़ के चहरों में मै तुझे ढूंढ़ तो रहा था,
लेकिन हर चहरे ने अपनालिया है
तुझे...

इश्क के तूफां से मै गुजर तो रहा था,
पर तेरी हवा ने रास्तों से भटका दिया
है मुझे...

तेरे झूठे वादों पर मै जी तो रहा था,
तेरी बेवफाई ने पागल बना दिया
है मुझे ...

मै अपनी सिसकियों पे मुस्कराहट का पर्दा डाल तो रहा था,
पर तेरी हसीं ने फिर रुला दिया
है मुझे...

-हिमांशु डबराल
www.bebakbol.blogspot.com

2 comments:

  1. बहुत भावात्मक लिखा है आपने... शुभकामनाये..

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  2. very nice lines.... keep it up....

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