10.10.09

muniya ka basta


कई दिनों से मांग रही थी मेरी मुनिया बसता
पुराना बसता हो गया था उसका बिल्कुल खस्ता
पास मेरे पर पैसे नही थे तनख्वाह का इंतजार था
बसता उसे अभी लाकर देदूं दिल में मेरे इतना प्यार था
पर सर से छत भी टपक रही थी,उसको ठीक करवाना था
फर्श में गड्ढे भर रहे थे उनको भी भरवाना था
मुन्ना की फीस भी भरनी थी गुडिया की शादी भी करनी थी
उधर टीचेर मुनिया को डाट रहे थे, बच्चे भी हँसी उडाते थे
इंतज़ार मुझे भी रहता था की शायद आज मिलेगी उनको तनख्वाह
और घर पर आएगा मुनिया का बसता !

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