28.10.09

तुम्हारे संग






-रंजना डीन


महकी सी अंगडाई के संग...
ठंडी सी पुरवाई के संग...
भीगी लटें, टपकती बूंदे....
अलसाई आँखों को मूंदे...
हलकी सी ठिठुरन को सहती....
अनजाने भावों में बहती...
सम्मोहित सी जाने कैसे...
तुम तक आखिर पहुच गयी मै...
अब जाने क्या होगा आगे...
प्यास देखकर बरस गयी मै.

1 comment: