29.11.09

राष्‍ट्रीय पाठक सर्वे : कारपोरेट मीडि‍या की गि‍रती साख भागते पाठक

भारतीय कारपोरेट मीडि‍या कठि‍न चुनौति‍यों से गुजर रहा है। जो लोग मीडि‍या तूफान में मुब्‍ति‍ला थे। उनकी नींद गायब हो चुकी है। उनके लि‍ए बुरी खबर है। 'इंडि‍यन रीडरशि‍प सर्वे 2009 प्रथम चरण' के परि‍णाम मीडि‍या उस्‍तादों के लि‍ए गम की खबर लेकर आए हैं। ये परि‍णाम इस बात का भी संकेत है कि‍ मीडि‍या में अगर वि‍कास की संभावनाएं हैं तो सारवान अंतर्वस्‍तु के अभाव में यह वि‍कास ठहर भी सकता है। प्रेस में जि‍स तरह का एकांगीभाव पैदा हुआ है और समाचारों में कमी आयी है उसने पाठकों को भगाना शुरू कर दि‍या है।

भारतीय पाठक के साथ वि‍गत दौर में प्रिंट मीडि‍या ने जि‍स तरह की ठगई अंतर्वस्‍तु के स्‍तर पर आरंभ की है और जि‍स तरह अखबार वालों ने अखबार की कीमतों में इजाफा कि‍या है उससे सीधे सर्कुलेशन प्रभावि‍‍त हुआ है। अखबार और पत्रि‍काओं की साख घटी है। वि‍श्‍वसनीयता घटी है।

सर्वे के अनुसार 25 बड़े प्रकाशनों ( इनमें अखबार और पत्रि‍का दोनों शामि‍ल हैं) में से मात्र 9 प्रकाशनों में पाठकों की वि‍कास दर दर्ज की गई है। जबकि‍ समग्रता में पाठक प्रति‍शत नीचे गि‍रा है। इनमें 16 प्रकाशनों में गि‍रावट दर्ज की गयी है। इसमें भी सर्वोच्‍च अभि‍जन प्रकाशनों में 51.89 प्रति‍शत तक की गि‍रावट दर्ज की गई है। यही दशा अंग्रेजी में प्रकाशि‍त होने वाली पत्रि‍काओं की भी है उनके पाठकों में तेजी से गि‍रावट आई है।

एकमात्र मराठी दैनि‍क पुधरी का सर्कुलेशन सबसे ज्‍यादा बढ़ा है। यानी उसका 8.83 प्रति‍शत सर्कुलेश्‍न बढ़ा है। दि‍ल्‍ली से प्रकाशि‍त साप्‍ताहि‍क पत्रि‍का सरस सलि‍ल का सर्कुलेशन तेजी से नीचे गि‍रा है। उसका सर्कुलेशन 12.95 प्रति‍शत घटा है।

सर्वे में पाठकों की एक ऐसी केटेगरी भी थी जो कि‍सी न कि‍सी प्रकाशन को पढ़ती थी, इस केटेगरी के पाठकों को सर्वे कर्त्‍ताओं से सार्वभौम पाठक का नाम दि‍या। सार्वभौम पाठकों में अंग्रेजी दैनि‍क पढ़ने वालों की संख्‍या में मामूली इजाफा हुआ, यानी मात्र 0.47 प्रति‍शत पाठक अंग्रेजी प्रकाशनों के बढ़े हैं।

अंग्रेजी शि‍क्षा और अंग्रेजी के अभि‍जन सामाजि‍क आधार के बाद इतनी कम मात्रा में पाठकों की संख्‍या में इजाफा कि‍सी भी तर्क से संतोषजनक नहीं है। इसका अर्थ यह भी है अंग्रेजी के प्रकाशन भी पाठकों को तरस रहे हैं। आज भी हि‍न्दी का दैनि‍क जागरण भारत का सबसे ज्‍यादा पढ़ा जाने वाला एकमात्र अखबार है। उसे भी अपने पाठकों को इस दौरान खोना पडा है। जागरण ने अपने 1.1 मि‍लि‍यन पाठक खोए हैं।

उल्‍लेखनीय है यह समाचारपत्र सबसे पहले वि‍देशी पूंजीनि‍वेश के लि‍ए अपने दरवाजे खोलने वाले चंद अखबारों में से है। पाठकों के भागने का कहीं वि‍देशी पूंजी प्रेम के साथ संबंध तो नहीं है ?

इसी तरह तेलुगू अखबार वार्था का सर्कुलेशन सबसे ज्‍यादा गि‍रा है। सन् 2004 के वि‍धानसभा चुनाव में कांग्रेस के राज्‍य में सत्‍ता में आने के बाद से इस अखबार ने कांग्रेस के पक्ष में अंधी भक्‍ति‍ का प्रदर्शन कि‍या और उसे 1.3 मि‍लि‍यन पाठक यानी कुल 21 प्रति‍शत पाठकवर्ग खोने पड़े हैं। इस अखबार के पठकवर्ग कम होने का एक कारण यह भी है कि‍ तेलुगू के अनेक पाठक स्‍व. मुख्‍यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के बेटे जगन रेड्डी के द्वारा आरंभ कि‍ए गए अखबार की ओर चलेगए।

अंग्रेजी दैनि‍कों में सबसे ज्‍यादा पढ़े जाने वाले 24 अंग्रेजी अखबारों में मात्र छह अखबारों में वि‍कास देखा गया। इनमें हि‍न्‍दुस्‍तान टाइम्‍स प्रकाशन के द्वारा प्रकाशि‍त मिंट का सर्कुलेशन सबसे ज्‍यादा बढ़ा। उसके पाठकों में 15.67 प्रति‍शत का इजाफा हुआ। जबकि‍ मेट्रो के पाठकों में 103 प्रति‍शत की बढोत्‍तरी हुई। न्‍यू इंडि‍यन एक्‍सप्रेस और इंडि‍यन एक्‍सप्रेस की पाठक संख्‍या क्रमश: 14.19 प्रति‍शत और 11.37 प्रति‍शत कम हुई है।

इसके अलावा हि‍न्‍दुस्‍तान टाइम्‍स,टेलीग्राफ, मि‍ड डे,मुंबई मि‍रर,असम ट्रि‍ब्‍यून, दि‍ ट्रि‍ब्‍यून, स्‍टेटसमैन, दकन हेरल्‍ड, हि‍न्‍दू बि‍जनेस लाइन, हि‍तवाद नागपुर, नवहि‍न्‍द टाइम्‍स, हेरल्‍ड के पाठकों की संख्‍या में गि‍रावट दर्ज की गई है। जबकि‍ टाइम्‍स ऑफ इंडि‍या के पाठकों की संख्‍या पि‍छले सर्वे की तुलना में 0.09 प्रति‍शत बढ़ी है। डीएनए 11.37 प्रति‍श्‍रत ,हि‍न्‍दू 1.84 प्रति‍शत , मिंट 15. 67 प्रति‍शत पाठक संख्‍या बढ़ी है।

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