एक तरफ़ विश्व बिरादरी प्रकृति के असंतुलन को लेकर है तौबा मचाएहै वहीदूसरी तरफ़ डेनमार्क जैसे देश डालफिन जैसे इंसानों की दोस्त कही जाने वाले प्राणियों का सामूहिक संहार कर रहा है , वो भी कुछ इस तरह की सागर का पानी खून से लाल हो जा रहा है ,
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अब विश्व के कथित पर्यावरण विदों को आगे आना चाहिये क्या वे यूनाइटेड नेशन्स और वाशिंगटन डीसी में ही पांच सितारा होटलों में मौज करना और पर्यावरण की बाते करना जनते है जबकि वह संक्षम भी है। धिक्कार है ऐसे लोगो पर
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