17.12.09

सवाल है जवाब नहीं

किसी गाँव से एक आदमी रोजगार के लिए परदेश जाने के लिए तैयार था। इस से पहले की वह अपना पहला कदम घर की देहली से बाहर रखता, उसकी पत्नी बोली, आप परदेश में कुछ भी करना मुझे कोई एतराज नहीं होगा लेकिन पानी केवल विवाहित महिला से ही पीना। पति ने ऐसा ही करने का वचन दिया और घर से रवाना हो गया। काफी लंबा रास्ता तय करने के बाद उसे प्यास लगी। कुछ दूर चला तो बस्ती दिखाई दी। बस्ती के पहले घर दस्तक दी। घर से एक आदमी निकला। उसने राहगीर से दस्तक का कारण पूछा। परदेशी ने पानी पीने की इच्छा के साथ यह भी बताया कि वह केवल विवाहित महिला के हाथ से ही पानी पीने हेतु वचनबद्ध है। घर का मालिक बोला, इस वक्त घर में कोई विवाहित महिला नहीं है। उसने राहगीर को दूसरे के घर भेज दिया। राहगीर ने दरवाजा खटखटाया,महिला ने दरवाजा खोला। राहगीर ने वही बात की। महिला घर के अन्दर गई। सोलह श्रृंगार कर हाथ में पानी का बर्तन लेकर लौटी। उसने राहगीर से कहा, मैं विवाहित हूँ लेकिन मेरे पति को मैंने केवल विवाहित पुरूष को ही पानी पिलाने का वचन दे रखा है। इसलिए आप अपने विवाहित होने का सबूत दो और पानी पी लो। राहगीर ने विवाहित होने का सबूत दिया और पानी पीकर अपने रास्ते चला गया।
सवाल ये कि राहगीर ने अपने विवाहित होने का क्या सबूत दिया,जिससे महिला संतुष्ट हो गई।
यह बात जिस ने मुझे बताई उसने उत्तर नहीं बताया। अब मुझे इस सवाल के उत्तर की तलाश है। आख़िर वह क्या सबूत था जो राहगीर ने अपने आप को विवाहित साबित करने के लिए दिया।

2 comments:

  1. महोदय ये तो प्रश्न से प्रश्न ही उत्पन्न हो रहा है कि ऐसा ही ईसाई महिला के साथ भी होता होगा.. ?
    कायदे से इसका जवाब प्रगति वादी महिलाओं को देना चाहिए. कि ये भेदभाव प्रक्रति ने क्यों किया..?

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