आज अपने मेल बाक्स की सफाई कर रहा था. पुराने सारे मेलों को निपटा रहा था. तभी कुछ ऐसे मेल दिखे, जिन्हें लगा कि अगर उन्हें रिस्पांस नहीं किया, उन्हें थैंक्यू नहीं बोला तो ये उनके साथ सरासर बेईमानी होगी।
उन्हें मैं दिल से शुक्रिया कहता हूं जो भड़ास4मीडिया का हिंदी लोगो बनाने के लिए उन्होंने वक्त निकाला और बनवाकर मेरे तक भेजा।
लोगो वाकई बहुत शानदार है... कह सकते हैं कि.... लोगो मा आग है....
यह तस्वीर एक मेल के साथ किसी साथी ने मेरे तक पहुंचाई। फोटो से साफ है कि आजकल हंसना-मुस्कराना कितना मुश्किल काम है और अब तो हंसने-मुस्कराने के लिए भी नकली तरीके आजमाने पड़ते हैं। चित्र में दिखाए गए सभी लोग एक आफिस के दुखी कर्मचारी-अधिकारी हैं जिन्हें आफिस के आदेशानुसार हर वक्त मुस्कराते दिखना है, सो इन लोगों ने परमानेंट मुस्कराने की एक व्यवस्था कर ली है.... है न बहुत खूब :) नहीं समझे? तो फिर चित्र पर क्लिक कर इसे बड़ा करिए फिर गौर से देखिए... आनंद आएगा...
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नीचे जो लोगो है, उसे भड़ास4मीडिया के एक फैन ने मेल के जरिए मेरे पास भेजा। उन्होंने ई-पत्र में लिखा है कि वो हिंदी की मशहूर वेबसाइट भड़ास4मीडिया का लोगो हिंदी में बनवाकर भेज रहे हैं।उन्हें मैं दिल से शुक्रिया कहता हूं जो भड़ास4मीडिया का हिंदी लोगो बनाने के लिए उन्होंने वक्त निकाला और बनवाकर मेरे तक भेजा।
लोगो वाकई बहुत शानदार है... कह सकते हैं कि.... लोगो मा आग है....
यह तस्वीर एक मेल के साथ किसी साथी ने मेरे तक पहुंचाई। फोटो से साफ है कि आजकल हंसना-मुस्कराना कितना मुश्किल काम है और अब तो हंसने-मुस्कराने के लिए भी नकली तरीके आजमाने पड़ते हैं। चित्र में दिखाए गए सभी लोग एक आफिस के दुखी कर्मचारी-अधिकारी हैं जिन्हें आफिस के आदेशानुसार हर वक्त मुस्कराते दिखना है, सो इन लोगों ने परमानेंट मुस्कराने की एक व्यवस्था कर ली है.... है न बहुत खूब :) नहीं समझे? तो फिर चित्र पर क्लिक कर इसे बड़ा करिए फिर गौर से देखिए... आनंद आएगा...
यह तस्वीर हमारे एक कार्टूनिस्ट साथी ने हिंदी दिवस के मौके पर भेजी थी पर इसका इस्तेमाल तब कहीं नहीं कर पाया और न ही उनके मेल का जवाब दे पाया। मैं साथी से माफी मांगता हूं और उनके कार्टून को यहां डाल रहा हूं ताकि उनकी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। शानदार कार्टून बनाया है आपने, आप यूं ही चुटीले नुकीले जहरीले गहरे कार्टून बनाते रहें.....

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और ये कार्टून भी भड़ास4मीडिया के एक प्रशंसक साथी की तरफ से है। उन्होंने 'अभी-अभी' अखबार की नौकरी तो छोड़ दी लेकिन उनका कहना है कि उनका बकाया पैसा वहां से नहीं मिला। उनके कई मेल आए पर मैं खबर नहीं छाप पाया। तब उन्होंने मुझे धमकाया कि अगर खबर नहीं छापोगे तो आपका कार्टून बना डालूंगा। मैंने कहा कि आप मेरा कार्टून बना ही डालिए, फिर खबर छापने की सोचते हैं। दुखद यह देखिए कि उन्होंने मेरा कार्टून बनाकर मेरे पास भेज दिया पर मैं आज तक उनकी खबर नहीं छाप पाया। मुझे पता है वे मेरे से नाराज होंगे पर उनसे कहना चाहता हूं कि भई, खबर न छापने के पीछे कोई इंटेशन नहीं है। आजकल इतनी खबरों व मेलों में उलझा रहता हूं कि ढेर सारा काम पेंडिंग में डाले रहता हूं पर उसस पेंडिंग को निपटाने का कभी वक्त नहीं आता। मैं अपने उस कार्टूनिस्ट भाई से अनुरोध है कि वे अपनी राम कहानी संक्षेप में लिखकर अपनी तस्वीर के साथ फिर से भेज दें, मैं जरूर छापना चाहता हूं ताकि आपके प्यार का थोड़ा सा हक अदा कर सकूं....पर इस कार्टून में तो मुझे विश्वविजेता सा दिखा दिया है.... अमां यार इतना भी मुझे न चढ़ाओ क्योंकि वैसे ही मेरी जान के दुश्मन कई जन हैं....

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आप सभी लोगों को नए साल की अग्रिम शुभकामनाएं...जहां रहिए हंसते रहिए लड़ते रहिए रोते रहिए पर हर हाल में मस्त रहिए
क्योंकि मस्ती के ही हिस्से हैं रोना हंसना गाना ...... और चलते जाना.....
यशवंत सिंह
yashwant@bhadas4media.com
09999330099


laajvaab bhai sahab.
ReplyDeletebahut khoob, majaa aa gayaa ji.
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