दिवास्वप्न देखना मेरा फेवरेट टाइमपास है। जागते-जागते देखे गये अपने एकदम ताजा सपने को चलिये आपसे शेयर करता हूं। सोचिए जरा, लोगों की गालियां सुनते-सुनते पक चुके देश के सभी नेता और अफसर अगर सच्चीमुच्ची के ईमानदार और सिद्धांतवादी हो जायें तो कैसा रहे? अद्भुत न! फिर तो.. न नेताओं के झूठे वादे सुनने को मिलेंगे और न ही अफसरों के झूठे दावे। थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने जाते समय फिर किसी को डर नहीं लगेगा। गुनहगार सड़कों पर और बेगुनाह जेलों में नहीं दिखा करेंगे।
सड़क और पुलों का बनते-बनते ढहना एकाएक पूरे देश में रुक जायेगा। मकानों का नक्शा बिना घूस दिये पास होने लगेगा। सरकारें विकास योजनाओं के लिए जो पैसा आंवटित करेंगी वह बर्फ की सिल्ली की तरह ऊपर से नीचे आते-आते गलकर आधा नहीं होगा। पूरा का पूरा खर्च होगा। कमीशनखोरी बंद हो जायेगी। अफसरों और मंत्रियों की पत्नियां सरकारी गाड़ी से शॉपिंग बंद कर देंगी। जनता की गाढ़ी कमाई नेताजी के काफिलों के धुएं में नहीं उड़ा करेगी। नियम-कानून सिर्फ गरीब जनता ही नहीं बल्कि अमीरों और रसूखदारों पर भी लागू होंगे।
बड़ा या छोटा हर चोर-उचक्का कानून से डरेगा। मिलावटखोरों और जमाखोरों को रहने के लिए कोई और देश ढूंढऩा पड़ेगा। महंगाई का कहीं नामो-निशां भी नहीं होगा। सदाचारियों की बहुतायत होने पर लोग भ्रष्टाचार किस चिडिय़ा का नाम है, यह भूल जायेंगे।
इससे पहले कि मैं कुछ और चीजें गिनाऊं आप तो लगता है कहीं खो गये। क्या कहा?.. सपनों में। चलिये... फिर तो आपको मैं नहीं झकझोरूंगा। ख्वाबों में ही सही कुछ देर रामराज्य का मजा ले लीजिये।
narayan narayan
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