20.1.10

खुशबू क्यूँ है दोषी ?


साउथ इंडियन एक्ट्रेस खुशबू से सब खफा हैं यहाँ तक की हमारे मुख्य न्यायधीश भी. खुशबू का गुनाह इतना है की उन्होंने 2005 में एक मेंगज़ीन को दिए अपने एक interview में कहा था की "मैं शादी से पूर्व बनाये यौन संबंधों को बुरा नहीं समझती लेकिन इसके लिए सारी सावधानियां बरतनी चाहियें". उन्होंने ये भी कहा की किसी भी पढ़े लिखे इंसान को ये शोभा नहीं देता की वो विर्जिन पत्नी की ख्वाहिश करे". खुशबू का ये कहना था की बस, जो कभी उनके फेन हुआ करते थे अब दुश्मन बन गए. उनके पुतले जलाए गए, कभी दीवारों पर लगाये जाने वाले पोस्टर्स में आग लगाई गयी यही नहीं उनके घर पर पत्थर भी बरसाए गए. खुशबू पर इस मामले को लेकर तकरीबन 23 केस दर्ज किये गए थे. पर अब खुशबू भी केसेस लड़ते लड़ते थक गयी हैं और अब उन केसेस से निजात पाने के लिए खुशबू मदद की अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने खुशबू को झाड लगा दी. हमारे मुख्य न्यायधीश के.जी बालाकृष्णन ने खुशबू के बयान को विवादास्पद बताया और कहा की "ऐसी बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता".
मज़े की बात तो ये है की जब वरुण गाँधी अल्पसंख्यको के खिलाफ भड़काऊ भाषण देते हैं तब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई बयान नहीं आता. जब राज ठाकरे महाराष्ट्र में उत्तर भारतियों के खिलाफ क़दम उठाते हैं. मनसे के कार्यकर्ता MLA अबुआज़मी को हिंदी में शपत लेने के लिए विधान सभा में पीटते हैं फिर सीना कर ठोकर स्वीकार भी कारते हैं. जब श्री राम सेना के कार्यकर्त्ता पब में घुसकर लड़कियों से बदसलूकी करते हैं और फिर इसे भारतीय सभ्यता की रक्षा का नाम देते हैं तब सुप्रीम कोर्ट का कोई बयान नहीं आता. हमारे माननिये मुख्य न्यायधीश खामोश रहते हैं पर जब बात लड़कियों की विर्जिनिटी की आती है तो एहसास होता है की "इसे स्वीकार नई किया जा सकता"
वाह भई वाह इसे कहते हैं न्याय.

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