आज फिर तन्हाई में मेरा दिल रोया है
बड़ा ही मुश्किल होता है वो पल जब इंसान के जीवन में उसे लगता है की उसकी ज़िन्दगी की राह में वो अकेला रह गया है, हर वक़्त उसे अकेलापन अन्दर से खोखला करते रहती है, ऐसा एक वक़्त हमारे पास भी आया. हम बता नहीं सकते की वो पल काटना कितना मुश्किल था. उस वक़्त मेरी कलम तन्हाई के आलम में अपने आप ही चल पड़े और उस कलम की मदद से मैंने अपने दिल के सरे दर्द पन्नो में उतार दिए.
आज फिर तन्हाई में मेरा दिल रोया है,
यादों के समंदर में मेरा मनन फिर भर आया है,
सोचा असं है काटना अकेले ज़िन्दगी,
पर पल भर का अकेलापन बड़ा मुश्किल पाया है,
कुछ देर अकेले बैठे हमें दोस्तों की याद आई,
कुछ मनन बहला लेकिन फिर यादों ने अपनी बाण चलाई,
सोचा था महफ़िल जमेगी फिर एक बार,
लेकिन फिर सोचा अभी तो है लम्बा इंतज़ार,
न जाने कब तक के लिए मैंने अपना चैन खोया है,
आज फिर तन्हाई में मेरा दिल रोया है.
जगी थी एक आस जीने की तेरे प्यार में,
ज़िन्दगी यूँ ही कट जाती, सिर्फ तेरे प्यार में,
हर वक़्त दुबे रहते थे हम सिर्फ तेरे प्यार में,
मगर आज मैंने अपना प्यार भी खोया है,
आज फिर तन्हाई में मेरा दिल रोया है.
छलका एक आंसू आँखों से लिखते हुए,
वो भी बहार आया दिल के सरे दर्द लिए हुए,
आँखों से निकले अश्कों ने मुझे भिगोया है,
आज फिर तन्हाई में मेरा दिल रोया है.
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