23.1.10

फिलीस्तीन मुक्ति सप्ताह- गाजापट्टी की नाकेबंदी और जनता की तबाही

गाजा की इस्राइल द्वारा नाकेबंदी जारी है। हजारों लोग खुले आकाश के नीचे कड़कड़ाती ठंड में ठिठुर रहे हैं , इन लोंगों के पास न तो कम्बल हैं, न टैंट हैं, न खाना है, न पीने का साफ पानी है। यह बातें संयुक्तराष्ट्र संघ मानवीय सहायता दल के संयोजक मैक्सवेल गेलार्ड ने फिलीस्तीनी इलाकों का ङाल ही में निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों से कही हैं।

उल्लेखनीय है पिछले साल दिसम्बर-08 से जनवरी 2009 के बीच गाजा पर की गई भयानक बमबारी के कारण हजारों बिल्डिंगें ,मकान, स्कूल,अस्पताल सड़कें आदि पूरी तरह नष्ट हो गए थे। एक गैर सरकारी संस्था ऑक्सफॉम के अनुसार गाजा को तत्काल 268,000 मीटर कांच खिड़कियों के लिए और 67,000 स्क्वेयर मीटर सोलर वाटर हीटर के लिए चाहिए। इसके अलावा इतना ही कांच 30 फुटबाल पिचों को कवर करने के लिए चाहिए।

गाजा में फिछले साल हुई इस्राइली बमबारी के कारण पानी सप्लाई , पायखाना, बिजली आदि का समूचा ढ़ांचा नष्ट हो गया। सहायता कार्य में लगी संस्थाओं को बड़ी परेशानी हो रही है। उन्हें सीवर लाइन के पाइप,वाटर पंप ,टंकी आदि की मरम्मत के लिए पर्याप्त सामान, पुर्जे,तेल आदि नहीं मिल पा रहे हैं। इसके कारण पीने के साफ पानी का अभाव बना हुआ है। बिजली उत्पादन व्यवस्था के बमबारी के कारण पूरी तरह नष्ट हो जाने का पानी की सप्लाई पर सीधा असर हुआ है।

फिलीस्तीन का दैनन्दिन नजारा यह है कि गाजा के सभी रास्ते इस्राइली सेना ने बंद पर दिए हैं। आए दिन लगातार इस्राइली सैनिक घर -घर घुसकर तलाशी अभियान चला रहे हैं, ऊपर से रॉकेट से बस्तियों पर हमले किए जा रहे हैं। कई नाके वाले इलाकों में इस्राइली सैनिकों और हम्मास के सैनिकों के बीच झड़पें भी हुई हैं। विगत कुछ दिनों में जिस तरह झड़पें हुई हैं और इस्राइल ने हमले तेज किए हैं उससे यह भी कयास लगाए जा रहा है कि इस्राइल के द्वारा गाजा पर बड़े हमले की तैयारी चल रही है।

शांति के नाम पर इस्राइल-अमेरिका मांग कर रहे हैं कि फिलिस्तीनी जनता अपने संघर्ष की सभी योजनाओं को त्याग दे।प्रतिरोध के सभी प्रयास बंद कर दे।इस्राइल के आतंक-उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष बंद कर दे।उल्लेखनीय है स्राइल के द्वारा फिलिस्तीनियों का उत्पीड़न उनके क्षेत्र में हो रहा है।इस्राइल बृहद इजरायल के सपने को साकार करने में लगा है।इस प्लान के आने के पहले जिन्नी प्लान,टेनेट प्लान आदि लाए गए किंतु अंतत: इस्राइली विस्तारवाद के आगे सबको ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया।

फिलिस्तीनी बच्चों को इस्राइली हमलों के कारण गंभीर मनोवैज्ञानिक कष्टों से गुजरना पड़ रहा है।इस्राइली हमलों का ये बच्चे मात्र पत्थरों से प्रतिरोध कर रहे हैं।जबकि इस्राइ के द्वारा न पर टैंकों, वायुयानों और तोपों से हमले किए जा रहे हैं।अनेक मर्तबा तो निहत्थे बच्चों को सीधे गोलियों का निशाना बनाया जा रहा है।फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ इस्राइल सभी किस्म के हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। मानव सभ्यता के इतिहास में इतने बर्बर हमले पहले शायद किसी ने नहीं किए जितने इस्राइल ने किए हैं।

स्राइली आतंक ने फिलिस्तीनी बच्चों को सामान्य बच्चों से भिन्न बना दिया है।बच्चों के ऊपर जिस तरह का दबाव पड़ रहा है उसके कारण बच्चों का अपने ऊपर नियंत्रण खत्म होता जा रहा है। उनके अंदर सुरक्षा की भावना खत्म होती जा रही है।दैनंदिन आतंक ने बच्चों को अंतर्विरोधी अनुभूतियों का शिकार बना दिया है। इनमें कुछ सकारात्मक अनुभूतियां हैं तो कुछ नकारात्मक अनुभूतियां हैं।

मसलन् बंदूक से पलायन ही बच्चों में खुशी का कारण बन जाता है।बच्चे परेशान रहते हैं कि स्कूल कब खुलेंगे।बाजार कब खुलेगा।पिता कब लौटकर आएंगे।माता-पिता कब तक घर से दूर रहेंगे।वे दिन-रात इस्राइली सेना के हमले के दुस्वप्न देखते रहते हैं।इस्राइली सेना के प्रक्षेपास्त्र हमलों को लेकर आतंकित रहते हैं।सो नहीं पाते।ज्यादातर बच्चों की पाचन-क्रिया गड़बड़ा गई है। इससे बच्चों का शारीरिक विकास बाधित हो रहा है।

स्राइली आतंक ने बच्चों के खेलों का चरित्र बदल दिया है।पहले बच्चे जुलूस,सेना और बमबारी का खेल खेलते थे।किंतु अब इसमें मशीनगन और हेलीकप्टर भी शामिल हो गए हैं। हले बच्चे रबड़ की गोलियों,शब्द करने वाले पटाखों,धुँआ छोड़ने वाले या ऑंसू गैस के गोलों और बमों से खेलते थे। किंतु अब बच्चे हवाई जहाज, बमों,टैंक,खुले घरों,बम,और रॉकेट आदि से खेलते हैं।

बच्चों की भाषा में भी बदलाव आया है।अब बच्चे धार्मिक भाषा में बोलने लगे हैं।वे कहते हैं कि 'शरीर मरता नहीं बल्कि स्वर्ग में जीवित है।' राष्ट्रवादी भावनाओं का राष्ट्रीय नारों के तहत प्रसार हो रहा है।वे राष्ट्रीय एकता के नारे लगाते रहते हैं। इन परिवर्तनों से भविष्य के मुक्तिदूत तैयार हो रहे हैं। इस्राइली प्रशासन द्वारा फिलिस्तीनी जनता पर उत्पीड़न की प्रतिदिन अनेक घटनाएं हो रही हैं।किंतु इक्का-दुक्का ही टीवी में दिखती हैं।

हाल ही में गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार गाजा में सहायता कार्यों में लगे 80 से ज्यादा एनजीओ संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा है कि गाजा की नाकेबंदी के कारण 14 लाख लोगों का स्वास्थ्य दांव पर लगा है। बीमार लोगों में बीस प्रतिशत सख्त मरीज हैं, इन्हें तत्काल इलाज के लिए इस्राइल के अस्पतालों में भर्ती कराने की जरुरत है। गाजा में जिस तरह सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक हालात खराब हुए हैं उसके कारण लोगों की तबियत ज्यादा तेजी से खराब हो रही है।

दूसरी ओर इस्राइली अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के साथ घनघोर अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। फिलीस्तीनी मरीजों को इस्राइल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। उल्लेखनीय है गाजा पर सन् 2007 से हम्मास का नियंत्रण स्थापित होने के बाद से इस्राइल ने गाजा की ओर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए हैं, फिलीस्तीन का शेष संसार के साथ संपर्क और संचार के जितने भी रास्ते हैं वे इस्राइल और मिस्र से होकर जाते हैं। इस्राइल की नाकेबंदी का फिलीस्तीन के लिए अर्थ है संसार से समस्त संपर्कों की समाप्ति। नाकेबंदी के कारण पर्याप्त मात्रा में दवा,इलाज की मशीनें ,एक्सरे मशीन आदि की सप्लाई तक में बाधा पड़ी है।

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