saMVAdGhar संवादघर: व्यंग्य-कक्ष में *****राष्ट्रप्रेम*****संजय जी कहते हैं, सुनते धृतराष्ट्र दे कान.
धृतराष्ट्र दे कान सुन रहे,मगर ना मानें.
अपने दुर्योधन के कान कभी ना तानें
कह साधक कवि, राष्ट्रप्रेम पर ले लो वाह वाह.
मन में है तूफ़ान,कह दिया गजब! वाह वाह!!
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