26.2.10

मोदी और गुजराती अस्मिता की राजनीति - 1



      गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का विगत विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित नारा था ''पांच करोड़ गुजरातियों की अस्मिता'' को वोट दो।  स्वयं को गुजराती अस्मिता का वारिस घोषित किया। मोदी और संघ के अलावा सब इसके दायरे के बाहर हैं। पराए हैं। खारिज करने लायक हैं। यह अनेकार्थी नारा है। फासीवादी नारा है।

इस नारे का पहला संदेश , पांच करोड़ गुजराती खुश हैं, वे मेरा समर्थन कर रहे हैं अत: तुम भी समर्थन करो। यानी लोगों की खुशी को मोदी को चुनने के साथ जोड़ देते हैं।

दूसरा संदेश, यदि आप खुश होना चाहते हैं तो पांच करोड़ की कतार में शामिल हों अथवा दुख के लिए तैयार रहें। पांच करोड़ की कतार में शामिल हैं तो आपका परिवार और संसार सुखी है वरना तुम सोच लो।
तीसरा संदेश, मोदी के पांच करोड़ के संसार में सब सुखी हैं। कोई भी दुखी नहीं। अर्थात् मोदी के पांच करोड़ में दुखियों के लिए कोई जगह नहीं है। वंचितों और बेकारों के लिए कोई जगह नहीं है। जो पांच करोड़ में शामिल नहीं वह खुश नहीं।

    ''पांच करोड़ गुजराती'' के रूपक के बहाने मोदी वस्तुत: धर्मनिरपेक्ष पहचान पर हमला बोलते हैं। लोकतांत्रिक विवेक को निशाना बनाते हैं। सामाजिक तनाव में इजाफा करते हैं। सामाजिक तनाव में प्रतीयमान अर्थ के जरिए इजाफा करते हैं।
       मोदी का ''पांच करोड़ गुजराती अस्मिता'' का नारा फासिस्ट नारा है। इसका मोदी ने रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया है। समृद्धि और खुशहाली के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया है। इस नारे के तहत मोदी सामाजिक तनाव और घृणा को बरकरार रखते हैं। यह एक तरह से घृणा की विचारधारा का पुनर्रूत्पादन है। ''पांच करोड़ गुजराती'' को मोदी एक परिवार के रूप में पेश करते हैं। समूचे राज्य को परिवार बनाकर मोदी राज्य और गुजराती परिवारों के बीच जो अन्तर्विरोध हैं उन पर पर्दादारी करते हैं। पूंजीवाद के अन्तर्विरोधों को छिपाते हैं। भूमंडलीकरण और गुजराती जनता के अन्तर्विरोधों को छिपाते हैं। लोकतंत्र और संघ के बीच के अन्तर्विरोधों को छिपाते हैं। संघ और अल्पसंख्यकों के बीच के अन्तर्विरोधों को छिपाते हैं।
    इस नारे का एक अन्य अर्थ है कि ''पांच करोड़ गुजराती'' मोदी के राज्य में सुखी हैं। वे मोदी के साथ हैं। पांच करोड़ का परिवार सुखी परिवार है, जो सुखी परिवार है वही सब कुछ पाने का हकदार है। अर्थात् समाज में जो लोग सुखी नहीं हैं वे पाने के हकदार नहीं हैं। पाने के हकदार वे ही हैं जो सुखी हैं। इस तरह मोदी अपना वंचितों के खिलाफ एजेण्डा भी बरकरार रखते हैं। वंचितों के प्रति अपने विरोध भाव को बरकरार रखते हैं।

इस प्रक्रिया में मोदी मध्यवर्ग की प्रतिरोध क्षमता को कुंद बनाते हैं,भ्रमित करते हैं और वंचितों में भी विभ्रम पैदा करने में सफल हो जाते हैं। ''पांच करोड़ गुजराती'' के नारे का इस्तेमाल करते हुए मोदी यह भी बताते हैं कि हम अपनी दुनिया कैसे बनाएं ? दुनिया को बनाने के लिए अन्तर्विरोधों में जाने की जरूरत नहीं है। इस तरह वे सामाजिक परिवर्तन के मूलगामी सवालों से ध्यान हटाने में सफल हो जाते हैं। मोदी का मूलत: जोर इस बात पर है कि ''पांच करोड़'' की दुनिया को कैसे बरकरार रखा जाए। उसकी अस्मिता को कैसे बनाए रखा जाए।
    यह नारा एक और काम करता है वह गुजराती जाति के आंतरिक अन्तर्विरोधों पर पर्दादारी। गुजराती जाति कोई इकसार जाति समूह नहीं है। बल्कि उसमें जातिप्रथा के रूप में जातियां हैं और उन जातियों के अपने अन्तर्विरोध भी हैं। इसके अलावा गुजरात में मुसलमान भी रहते हैं जिनके राज्य के साथ अन्तर्विरोध हैं। इन सभी समूहों के आंतरिक अन्तर्विरोधों को चालकी के साथ '' पांच करोड़ गुजराती की अस्मिता'' के नाम पर छिपा लिया गया है और गुजरात की एक सरलीकृत इमेज पेश की गई । गुजरात की अन्तर्विरोधपूर्ण,संश्लिष्ट और जटिल प्रकृति को इससे छिपाने में मदद मिली है।

 ''पांच करोड़ गुजराती की अस्मिता'' के नाम जिस जनता का मीडिया ने बार-बार चेहरा दिखाया,बयान सुनाए और भाजपा ने जिस जनता को पांच करोड़ के साथ एकमेक करके पेश किया,हमें उसकी चेतना के बारे में भी गंभीरता के साथ सोचना होगा।

       भारत में जनता का जयगान बहुत होता है। मोदी का जयगान उससे भिन्न नहीं है , बल्कि एक कदम आगे जाकर मोदी ने अस्मिता को पांच करोड़ के साथ जोड़ दिया है। ध्यान रहे  ‘जनता की चेतना’ के नाम पर अमूमन चेतनता का विरोध किया जाता है। ‘जनता की चेतना’ वस्तुत: अचेतनता ही है जिसका बुर्जुआ पार्टियां दोहन करती हैं। यह ऐसी चेतना है जो शिरकत के भाव से वंचित है अथवा जिसके पास शिरकत का अवसर ही नहीं है। अथवा जिसमें किसी भी किस्म की इच्छी ही नहीं है। अथवा जो अपनी इच्छाओं को दबा लेती है। जो कुछ वास्तव में हो रहा है उसे नोटिस ही नहीं लेती। चुप रहती है। अथवा सब कुछ जानते हुए भी नहीं बोलती।





                          





















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