23.2.10

मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार हैं या मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष?

आजकल प्रदेष में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष चर्चाओं में हैं। वैसे तो अपनी हनक के लिए ये पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूडी के शासन काल में खासे चर्चाओं में रह चुके हैं लेकिन इस बार वे जिन मामलों को लेकर चर्चाओं में हैं वे इस भाजपा सरकार के लिए चौंकाने वाले हो सकते हैं। कहने को तो ये महाषय मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं लेकिन पूर्व की भांति इस बार भी बिना समिति के अध्यक्ष बन बैठे हैं। नियमानुसार जब समिति होती है तभी उसका अध्यक्ष भी अस्तित्व में होता है, लेकिन यहां न तो खंण्डूडी के शासन काल में ही समिति बनी थी और न अब निषंक के शासन काल में ही। हां इस भावी समिति का अध्यक्ष जरूर बना दिया गया है वह भी ऐसे व्यक्ति को बनाया गया है जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री को मीडिया से दूर करने का आरोप था। चर्चा तो यहां तक है कि इस समिति का अध्यक्ष इस व्यक्ति को पूर्व मुख्यमंत्री के दबाव में ही बनाया गया है। बनाया भी क्यों नहीं जाता इनके तो पूर्व मुख्यमंत्री पर बड़े एहसान जो थे सो उन्होने इनका कर्ज इस सरकार में इन्हे बार फिर मनोनीत कर उतार दिया है।
अपनी ही सरकार को फंसाने में तो इन्हे महारत हासिल है। बीते दिनों जब प्रदेष के मिनीस्टिरियल कर्मचारियों की हड़ताल चल रही थी तो इन महोदय ने चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष तथा खेल परिषद के अध्यक्ष की ओर से जारी एक विज्ञप्ति को लेकर सरकार की काफी किरकीरी करवायी हुआ यों कि इन्होने सूचना विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में इन दोनों नेताओं की ओर से यह का कि यदि कर्मचारी हड़ताल समाप्त कर कार्य पर वापस नहीं लौटे तो जनता को सड़कों पर उतरना पड़ेगा जिस पर कर्मचारी संगठनों ने इन दायित्वधारियों के खिलाफ हल्ला बोल दिया और इनके पूतले तक फूंके गये। जबकि इन नेताओं का यह कहना है कि उन्होने तो कर्मचारियों से हड़ताल वापस लेने का निवेदन किया था न कि उन्हे चेतावनी दी थी। मीडिया सलाहकार की इस करतूत से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और आन्दोलनरत कर्मचारियों के आक्रोष को सतह पर लाने के लिए काफी मषक्कत करनी पड़ी थी।
वहीं इस अध्यक्ष के बारे में चर्चा तो यहां तक है कि यह मौजूदा मुख्यमंत्री की सार्वजनिक कार्यों के दौरान खींची गयी तस्वीरों को भी अखबारों में प्रकाषित न करने के निर्देष मकहमे से जुड़े अधिकारियों को देते हैं। बताया जाता है कि पिछले दिनों भाजपा के इंन्दौर अधिवेषन के दौरान फिल्म सेलिब्रिटी स्मृति ईरानी के साथ प्रदेष के मुख्यमंत्री के फोटों को अखबारों को जारी किये जाने को लेकर भी इन्होने महकमें के कर्मचारियों पर यह दबाव बनाया कि उक्त फोटों को प्रकाषन के लिए न भेजा जाय।
इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि जिस व्यक्ति पर मुख्यमंत्री ने भरोसा कर सरकार की छवि जन-जन तक पहुंचाने का दायित्व सौंपा है वहीं दायित्वधारी सरकार की ही किरकिरी करवाने पर लगा हुआ है। इससे मुख्यमंत्री द्वारा जन हित के कार्यों की असली तस्वीर जनता तक नहीं पहुंच पा रही है। चर्चा तो यहां तक है कि यह सलाहकार पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति स्वयं को वफादार साबित करने के लिए सरकार की फजीहत करने पर लगा है।

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