अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
20.2.10
साजन का संग ना
सखियाँ रंगों में हो ली संग है सजना, मेरी होली तो हो ली साजन का संग ना। ---- रंगों में भीगी सखियाँ मुझसे यूँ बोली, साजन के संग बिना री काहे की होली। ---- हाथों में ले पिचकारी आई मेरी सखियाँ, साजन की राह निहारे मेरी सूनी अखियाँ ।
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