11.2.10

छोर

मायूसियों के बादल,
छंट जायेगे,
एक नई  सुबह आयेगी ,
दस्तक देगी द्वार ,
बादल जायेगे तेरे विचार.
धुंध अँधेरी न फैलाना ,
अपने चारो ओर,
सारे रस्ते न देना रोक ,
किसी छिद्र या किसी सुराख़ से ,
सूरज कि किरने आयेगी ,
करेगी तुझको भावविभोर ,
मिलेगा तुझको भे एक छोर,
हौले -हौले संभलेगा सब ,
बिखरा है जो चारो ओर ,
दामन आशा का न छोड़ .
मिलेगा तुझको भी एक छोर ,
मिलेगा तुझको भी एक छोर.
 
 

No comments:

Post a Comment