7.2.10
राहुल का मुंबई आना
पांच फरवरी को राहुल गांधी का मुंबई दौरा कई मायनों में याद रखा जाने लायक है। राहुल गांधी के इस संक्षिप्त दौरे के दौरान मीडिया को राहुल से दूर रखा गया। किसी तरह की कोई बातचीत नहीं। राहुल के दौरे से मीडिया को जितना ही दूर रखा गया, मीडिया उतनी ही उनके पास आने की कोशिश में लगा रहा। खासतौर से इलेक्ट्राॅनिक मीडिया। टीवी चैनलों के पत्रकार राहुल की एक बाइट के लिए परेशान थे तो उनके सहयोगी कैमरामेन राहुल को अपने कैमरे में कैद करने के लिए। राहुल ने करीब चार घंटे के दौरे में कहीं कोई बयान नहीं दिया, सिर्फ पूर्व नियोजित कार्यक्रमों में बदलाव किया, और जहां नहीं जाना था, वहां भी पहुंच गए। समाचार चैनलों के पास संयोग से दिखाने को कोई और खबर थी नहीं, सो सुबह से ही लग गए, राहुल गांधी थोड़ी ही देर में मुंबई पहुंचने वाले हैं। उनके स्वागत की तैयारियां कैसी हैं। ठाकरे परिवार की प्रतिक्रिया क्या है। क्या क्या कार्यक्रम होने वाले हैं। बस दिल्ली स्टुडियो में बैठे एंकर अपने संवाददाताओं का सिर खा रहे थे, और वे भी रट्टू तोते की तरह ही अपने जवाब लगातार दोहराए जा रहे थे। बस थोड़ी ही देर में राहुल गांधी मुंबई पहुंचने वाले हैं। ये खबर चलते चलते अचानक ब्रेकिंग न्यूज की पट्टी चली, राहुल गांधी मुंबई पहुंचे। उसके बाद एक एक करके सभी समाचार चैनलों और उनके रट्टू संवाददाताओं के पास एक ही खबर थी, राहुल गांधी मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंच चुके हैं। यहां से वे विले पार्ले जाएंगे। हैलिकाॅप्टर से जाएंगे। भाईदास सभागार में युवाओं को संबोधित करेंगे। सभी चैनलों पर यही एक मात्र समाचार। राहुल हैलिकाॅप्टर से रवाना हो गए। उनका काफिला भाईदास सभागार पहुंचा। यहां वे युवाओं से बातचीत करेंगे। राहुल आए, युवाओं से बातचीत की, और मीडिया से मिले बिना अगले सफर पर निकल गए। युवाओं से क्या बातचीत की, ये किसी को पता नहीं चला। मीडिया को भी तत्काल इसकी जरूरत नहीं थी, वे बस यही बताने में सकून पाते रहे कि राहुल घाटकोपर के लिए रवाना हो गए। राहुल थे कि ना तो मीडियावालों को ही पकड़ने का मौका दे रहे थे, और ना ही शिवसैनिकों को। राहुल की खोज खबर में टिड्डी दल की भांति मंडराते मीडिया को अचानक खबर मिली कि राहुल ने अपने पूर्व नियोजित कार्यक्रम में बदलाव कर दिया है। विले पार्ले से घाटकोपर जाने के लिए राहुल गांधी हैलिकाॅप्टर की बजाए सड़क मार्ग का इस्तेमाल करने वाले हैं, बस अब उनके पास यही खबर थी। राहुल शिवसेना को मुंह चिढ़ाते हुए सड़क मार्ग से घाटकोपर जा रहे हैं। इसी बीच टीवी वालों ने कुछ कैमरे रास्ते में राहुल की गाड़ियों की तस्वीरों के लिए तैनात कर दिये थे। हवा में तो उनका पीछा मुश्किल था, लेकिन सड़क पर वे राहुल के पीछे लग गए। राहुल आगे-आगे, टीवी वाले पीछे-पीछे। राहुल ने एक जगह गाड़ी रोकी और लोगों का हाल लिया। अगली खबर यही थी, राहुल रुके। बीच रास्ते में रुके राहुल बाबा। लोगों से मिल रहे हैं राहुल बाबा। एक, दो, तीन, चार सभी बड़े राष्ट्रीय खबरिया चैनलों पर चलती रही खबर- रास्ते में रुककर राहुल गांधी ने लोगों से हाथ मिलाया। उनका हालचाल पूछा। किसी ने नहीं बताया कि लोगों ने राहुल से अपना कौन सा दर्द बयां किया? महंगाई का, बेरोजगारी का या भ्रष्टाचार का? सब बताते रहे, राहुल पहुंच रहे हैं, राहुल चले गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण डेढ़ घंटे से उनका इंतजार कर रहे हैं। अचानक टीवी स्क्रीन पर खबर चमकी, राहुल मुंबई लोकल में सवार हुए। बस, अब यही खबर बन गई। राहुल लाइन में खड़े हुए, खुद टिकट खरीदी। अपने सहयोगियों और सुरक्षाकर्मियों के लिए भी टिकट खरीदी। राहुल ने खुद टिकट खरीदी पर ज्यादा जोर था। क्यों खरीदी, क्यों सवार हुए लोकल में इसका कोई जवाब नहीं था। वे लोकल ट्रेन में सवार हुए, खबरनवीसों के लिए ये काफी था। कुछ को राहुल के लोकल ट्रेन में सफर करते हुए फुटेज मिल गए तो कुछ ने सौजन्य से उधार मांग लिये। जिनको उधार मांगने में शर्म आई, उनने चुराकर, क्राॅप करके काम चला लिया। आजकल ये आम है, इसके विस्तार में जाने की जरूरत नहीं। राहुल गांधी लोकल में। एक के बाद दूसरा, फिर तीसरे समाचार चैनल पर यही था-राहुल गांधी मुंबई की लाइफ लाइन कहे जाने वाली लोकल में, लोकल में सवार हुए राहुल गांधी। क्यों सवार हुए भैया? क्या काफिले की गाड़ी का तेल खत्म हो गया था या मीडिया को दूर रखते हुए पास बुलाना था। या मंुबई वालों की तकलीफ दिल्ली में मम्मी सोनिया तक तत्काल पहुंचानी थी कि मुंबईकरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वजह चाहे जो हो, राहुल ने लोकल में सफर किया। राहुल ने शायद पहली बार ही किया होगा लोकल का सफर और शायद आखिरी बार भी। बहरहाल।राहुल चलते रहे। मीडियाकर्मी पीछा करते रहे। और थ्री ईडियट्स कांग्रेस के युवराज का जलवा देखते रहे। थ्री ईडियट्स... नहीं समझे। अपने ठाकरे साहब और उनका परिवार। बिल्कुल बिल में छुपे चूहे की मानिंद। काफी इंतजार के बाद राहुल बाबा ने मुख्यमंत्री को भी दर्शन दिए। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कृतार्थ हुए। उन्होंने कांग्रेस महासचिव की जमकर आवभगत की। उनकी ओर से आवभगत तोएयरपोर्ट से ही शुरू हो गई थी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए ये पहला मौका था, अपने घर में सोनिया पुत्र के स्वागत का। उन्होंने पूरा अमला झोंक दिया था। कहीं कोई कमी नहीं। मीडिया को यहां भी दूर ही रखा गया! थोड़ी देर इस पर खबरें प्रसारित होती रहीं। राहुल सीएम के साथ। राहुल सीएम के साथ। फिर खबर आई, राहुल रवाना हो गए। राहुल पांडिचेरी के लिए रवाना हो गए। वहां भी उनका एक कार्यक्रम तय था। राहुल चले गए। मीडिया पीछे छूट गया। ये बताता रहा कि राहुल चले गए। सुबह ग्यारह बजे आए थे, तीन बजे चले गए। चार घंटों में सबको नचा गए। महाराष्ट्र सरकार का पूरा अमला उनकी तीमारदारी में लगा रहा, युवराज को कोई दिक्कत न हो, इसकी कोशिश में जुटा रहा। कोई दिक्कत नहीं आई, युवराज सकुशल लौट गए। ठाकरे परिवार को ठेंगा दिखाकर चले गए। शिवसैनिक कुछ न कर सके। एकाध जगह प्रदर्शन के अलावा सब शांतिपूर्ण रहा। मीडियाकर्मियों को भी राहुल के पीछे भागने से राहत मिल गई। लेकिन अब उनकी दिक्कत और बढ़नी थी, राहुल तो चले गए, अब उन पर अलग अलग एंगल से कई स्टोरी फाइल करनी होगी। पत्रकार बिरादरी परेशान होने लगी। पहले तो ये बताते रहे कि राहुल गांधी यहां पहुंचे। यहां ये तैयारी है। यहां ये प्रोग्राम है। राहुल यहां से वहां जाएंगे। वहां फलां से मिलेंगे। वहां फलां कार्यक्रम रखा गया है। उसमें, अलां, फलां और चिलां भी शामिल होंगे। सब हो गया। अब स्टोरी एडिट करानी है। आखिर ये सब बताने के पीछे समाचार चैनलों का मकसद क्या था। क्या वे किसी अनहोनी का इंतजार कर रहे थे, जो लगातार लाइव दिखा रहे थे राहुल का मुुंबई दौरा। या राहुल का मुंबई दौरा प्रायोजित था? मालूम नहीं सच क्या है। लेकिन इतना तो आपने भी देखा ना कि राहुल सिर्फ चार घंटों के लिए मुंबई आए। इन चार घंटों में देश की आर्थिक राजधानी में खूब उथलपुथल मचाई। शिवेसना और मनसे को ठेंगा दिखाया और जनता की ओर हाथ हिलाकर उसी हैलिकाॅप्टर से एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए जिससे आए थे।
आगे पीछे हमारी सरकार कि हम है कांग्रेस के राजकुमार, बिहारी भाइयो हम विधानसभा चुनाव से पूर्व पटना इसलिए आया हूँ ताकि आपको बता सकूं कि मुंबई सबकी हैं लेकिन आप वहां जाना तो मराठी सीख लेना हमारी कांग्रेस सरकार ने टेक्सी ड्राईवर के लिए rule बनाया हैं और सुनिए मैं अपने विशेष सुरक्षा दस्ते के साथ मुंबई घुमने जाऊंगा लेकिन मेरे जैसा न करना आप लोग़ के पास मेरे जैसी सुरक्षा नहीं हैं ना उत्तर प्रदेश और बिहार वालो.
ReplyDeleteकमरतोड़ महंगाई हैं और हमने भी बेशर्म बने रहने की कसम खायी हैं . महंगाई तो हमारे लिए भी हैं न सो करनी खूब कमाई हैं commercial premier league ऑफ़ क्रिकेट से पैसा कमा लें, पर बाल ठाकरे रोड़ा अटका रहा हैं कमाई में. ओये क्या हुआ मैं कृषि मंत्री ही तो हूँ, प्रधान मंत्री थोड़ी हूँ, सरकार की सारी मान मर्यादाये तोड़ कर बाला साहेब के दरबार में घुटने टेक लूँगा,
ReplyDeleteइज्ज़त भले ही घटे पर जेब न फटे.
महंगाई हैं न रे बाबा .