नहीं होने देंगे बस्तर का विकास.........
छत्तीसगढ़ के नेताओं ने जैसे कसम सी खाली है की बस्तर में अगर जनता ने उन्हें चुना है तो सिर्फ नेता सिर्फ पैसे ही कमाने में लगे रहेंगे, और उनकी जेब बेरोजगार और अनपढ़ लोगों के कारण भरी रहे इसके लिए वो कुछ भी कर सकते हैं. बस्तर के लोगों को बस्तर में ही अगर नौकरी और शिक्षा मिल जाये तो इन नेताओं की खटिया तो कड़ी हो ही जाएगी. बस्तर के लोगों को रोज़गार , शिक्षा के साथ साथ चिकित्सा के लिए भी अगर कोई अच्छे कदम उठा रहा है तो वो है N.M.D.C. नगरनार प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही NMDC ने अपने चिकित्सा अधिकारीयों को नगरनार भेज दिया है. और क्या चाहिए बस्तर के लोगों को. मेरे खायाल से बस्तर के लोगों को तो इस बात की ख़ुशी है की उन्हें रोज़गार मिल, चिकित्सा और शिक्षा मिलेगी, जिस तरह दक्षिण बस्तर के बैलाडीला के लोगों को सुविधा मिल रही है, उसी तरह की सुविधाएं उन्हें भी मिलने लगेंगी, पर यह बात नेताओं के कहाँ समझ आएगी, पहले एन.जी.ओ. की आड़ में हिमांशु कुमार बस्तर विकास में अपने रोड़े अटका रहा था. उसी तरह कई नेता भी इसी कार्य में लग गए हैं. बस्तर संसद बलिराम कश्यप और उनके कई समर्थक १० फ़रवरी से नगरनार में धरने पर बैठने वाले हैं, मांग है आदिवासियों की ज़मीन आदिवासियों को दे दी जाये. हमने देखा है, आदिवासियों की ज़मीन कई सालों से बेकार पड़ी हुई है. उसमे अभी तक कृषि के लिए कुछ भी कदम नहीं उठाये गए हैं. अब अगर किसी कंपनी ने उस ज़मीन का सही उपयोग करना चाहा है वोह भी ऐसा उपयोग जो की उन आदिवासियों के हित में ही है. तो अब क्या परेशानी है कश्यप जी को. अगर NMDC आदिवासियों की ज़मीन ले रही है तो उसके बदले उन्हें अच्छे रोज़गार भी देगी. मुझे फिल्म शूल का १ दृश्य याद आ गया जिसमे बच्चू यादव बिहार विधानसभा में कहते हैं की "१ तो नदी में पानी कम है और पॉवर प्लांट लगाकर उससे भी बिजली निकली जाएगी तो खेतों की सिंचाई कैसे होगी." इसे कहते हैं गंवार. मैं पूछता हूँ क्या बस्तर के नगरनार में प्लांट खुलना चाहिए??? कृपया अपने विचार व्यक्त करें............
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