राहुल की शादी है और जश्न है हिदुस्तान का ... दूसरी तरफ इस चकाचौंध से बहुत दूर एक गावं है जहाँ कुछ देर पहले एक साधू आया था ,पता नहीं क्या हुआ ,वहा अब सन्नाटा पसरा हुआ ,पीछे से एक मां की कराहने की आवाज़ आ रही है जिसकी रुलाइयां है जो रोके रुक नहीं रही ,वो सन्नाटे से आगे निकल कर उस आस्था पर सवाल उठा रही है जिसे वक्त वक्त पर कोई
न कोई साधू उसकी असफलता के साथ जोड़कर उसके पल्लू से बाँध देता है और फिर राम के नाम में विश्वास जताता है, वो एक रुमाल एक लौटा और बीस रूपये बाटता है तभी एक चीख पुकार आती है ,
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