19.3.10
क्या सचमुच आज ममता अंधी हो चुकी है ???
बरसों से ये ही सुनते आ रहे है कि ममता अंधी होती है वो कुछ नहीं जानती सिवा बच्चो को प्यार देने के। हमारे देश में कई ऐसी माताये हुई है जिन्होंने अपने बच्चों के साथ कई ऐसे बच्चों को अपना प्यार जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है। इनके अलावा इसी देश में कई ऐसी मताए हुई जिन्होंने सारी दुनिया को अपना परिवार मान अपने ममता का आँचल उन सारे अनाथ बच्चों के ऊपर फैला दिया जिनका इस दुनिया में कोई नहीं था। लेकिन आज महारास्ट्र के हिंगोली जिले में बच्चों की बलि दिए जाने वाली अप्रिय घटना ने ममताके दमन को ही शर्मसार कर दिया है। इस घटना में असमय ही मौत के घाट उतारे गए बच्चों की उम्र महज ४-१२ साल कि बताई जा रही है। इस घटना में खुलासा हुआ है कि लगभग ६ लोगो ने मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया। इस घटना में किसी बाबा के कहने पर वन्दना नाम की एक संतानहीन स्त्री भी शामिल थी, और वो बच्चों कि चाहत में अंधी होकर ११ मासूमो की बलि देने को तैयार हो गयी। इस घटना ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या महज संतान की लालसा में ममता इस कदर अंधी हो जाती है की उसे यह समझ भी नहीं आता कि जिन बच्चों को मौत की नींद में सुलाना चाहती है वो भी किसी माँ की ही संताने है। इन बच्चो ने अभी-अभी जिंदगी को अपनी समझ से समझना और देखना शुरू किया है। ये मासूम भी किसी माँ के आँख के तारे है। जब किसी माँ उसका बच्चा दूर हो जाता है तो उस दर्द का एहसास शायद एक माँ ही अच्छी तरह समझ सकती है। वो स्त्री जो एक माँ के दर्द को नहीं समझ सकती क्या उसे माँ बनने का अधिकार देना चाहिए? सचमुच उस स्त्री ने आपनी आँखों में अंधविश्वास की चादर ओढ़ राखी है और उस चादर ने उसकी ममता को अँधा कर दिया है। अंधविश्वास आज ममता पर इस कदर हावी हो चुका है कि इसने एक माँ की पीढ़ा को भुला दिया है। इस कृत्य ने मुझे आज सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सचमुच आज ममता अंधी हो चुकी है ???????????
मार्मिक।
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