7.3.10

यात्रा

साथ रहने के लिए
साथ खडे होना भी जरुरी होता है
एक मित्र ने समझाया कि
साथ देखने की सीमाएं क्या होती है
देखा जा सकता
दायें-बायें या फिर अपने से ऊपर
छदम गर्व के साथ
नीचे देखने का वक्त नही होता है
साथ के लोगो के पास
और न ही साहस
अपने साथ चले लोगो को
नीचे देखने के लिए
सर्वाइकल से कुछ ज्यादा दर्द होता है
प्रेक्टिकल होना और साथ खडा होना
दोनो एक सी बात है
कदमो की लडखडाहट के तब ज्यादा
मायनें नही है
जब साथ मे चल रहे हो
कुछ शुभचिंतक
साथ की यात्रा के लिए
सावधानी और अभिनय
दोनो जरुरी है
क्योंकि आपने मार्ग क्यों
बदला इसकी समीक्षा और कारण
जाने बिना
साथ छुट जाता है
फिर अभिनय ही आत्मघाती होने से बचा सकता है
अभिनय खुद के लिए
इतना जरुरी नही होता
जितना कि
साथ के लोगो के एहसास मे बनें
रहने की मानवीय कमजोरी के लिए
लेकिन उपलब्धि के समीकरण
से उपजी साथ चलने की इस
शर्त से
यात्रा कितनी पीडादायक
हो सकती है
इसका अहसास
भावुकता की आड लेकर
चेता रहा है बार-बार
और मै साथ खडे रहने की
तैयारी कर रहा हूं
सपनो की कीमत पर....।

डॉ.अजीत
www.shesh-fir.blogspot.com

No comments:

Post a Comment