ये बात करीव १५ साल पूरी नहीं है । हमारे ग़ाव में छिदु नाम एक आदमी था वह अक्सर घर आता जाता था । हमारी माँ को दीदी कह कर पुकारता हम भी मामा कहने से नहीं चूकते थे एक दिन ग़ाव में पुलिस आई तो जानकारी मिली ,छिदु मामा को पुलिस ने चोरी इल्जाम पकड़ लिया है एक दिन छिदु मामा से हमारी मुलाकात हो गयी । मामा बोले कि आजकल क्या कर रहे हो भांजे , मैंने भी कह दिया मामा मै डेल्ही में पत्रकार हू। मामा बोले अरे फिर तो हम दोनों की खूब जामेगी। मैंने पूछा वो कैसे । अरे हम भी पत्रकार है - मुझे याद है की छिदु मामा तो काला अक्छर भैस बराबर है । फिर फटाक से जेव से डेल्ही के Newspaper ka i card दिखाया । फिर बोले भांजे मै crime रिपोर्टर हू. मैंने पूछा ये कैसे बनबाया । अरे यार मैंने ५०० /- रूपये में डेल्ही से मगवाया है खूब नोट छाप रहा हू । मै उसकी बाते सुन कर हैरान कम परेशान था Sushil Gangwar www.sakshatkar.com
कल का चोर आज का पत्रकार - सुशील गंगवार
ReplyDeleteये बात करीव १५ साल पूरी नहीं है । हमारे ग़ाव में छिदु नाम एक आदमी था वह अक्सर घर आता जाता था । हमारी माँ को दीदी कह कर पुकारता हम भी मामा कहने से नहीं चूकते थे एक दिन ग़ाव में पुलिस आई तो जानकारी मिली ,छिदु मामा को पुलिस ने चोरी इल्जाम पकड़ लिया है एक दिन छिदु मामा से हमारी मुलाकात हो गयी । मामा बोले कि आजकल क्या कर रहे हो भांजे , मैंने भी कह दिया मामा मै डेल्ही में पत्रकार हू। मामा बोले अरे फिर तो हम दोनों की खूब जामेगी। मैंने पूछा वो कैसे । अरे हम भी पत्रकार है - मुझे याद है की छिदु मामा तो काला अक्छर भैस बराबर है । फिर फटाक से जेव से डेल्ही के Newspaper ka i card दिखाया । फिर बोले भांजे मै crime रिपोर्टर हू. मैंने पूछा ये कैसे बनबाया । अरे यार मैंने ५०० /- रूपये में डेल्ही से मगवाया है खूब नोट छाप रहा हू । मै उसकी बाते सुन कर हैरान कम परेशान था
Sushil Gangwar
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