25.4.10

हम बचपन में...

मेरी ग़ज़ल अमर उजाला कोम्पेक्ट में  ( जो कविता के नाम से छप गई है )
बड़े आकार में देखने के लिए मैटर पर किल्क करें.

 
















प्रबल प्रताप सिंह

4 comments:

  1. महाराज क्षमा करें मगर है तो वो कविता ही

    पढवाने के लिए धन्यवाद

    वविता बढ़िया लगी

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  2. Yugal ji, Sanjay ji or Veenus ji comment ke liey shukria...!!

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