8.5.10

सवालो का जवाब दीजिये...


आप सभी को मेरा नमस्ते...मै आज बहुत दिनों के बाद आप लोगो के समक्ष कुछ लिख रही हूँ जो आज मेरे साथ घट रही है... यही घटना हर दूसरी या तीसरी लड़की के साथ घटती है... मै बात करने जा रही हु समाज के उस दानव की जो हमारे समाज को पूरी तरह से अपने काबू में किये हुए है... जी ये दानव है दहेज़ जिससे हम सभी चिर परिचित है लेकिन ये कोई नहीं सोचता की इसे कैसे ख़त्म किया जाए.... आज मै खुद को बेबस महसूस कर रही हु जब ये हे घटना मेरे साथ हो रही है.... आज ऐसा लग रहा है की लड़की के घर वालो से हे क्यों दहेज़ लिया जाता है... जब किसी लड़के या लड़की का जन्म होता है तो आज हर घर में खुशिया मनाई जाती हैं... उन्हें पढाया, लिखाया जाता है ताकि वो समाज में एक दुसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चले और देश की उन्नति में बराबर के भागिदार बने... फिर क्यों शादी के मामले में दोनों के घरवालो की सोच अलग होती है....क्या लडको के पालन पोषण उसकी पढाई सब का खर्च इतना ज्यादा है की वो लोग लड़की के घर वालो से मांग कर पूरी करते है?????? वो भी तब जब की लड़का किसी निजी कंपनी में नौकरी पर होता है या फिर किसी सरकारी कंपनी में काम कर रहा होता है....जब लड़का खुद अपने पैरो पर खड़ा है तो भी दहेज़ के बारे में सोचना....ऐसा दोयम दार्जे का यवहार क्यों? एक तरफ जब लड़का और लड़की बराबर है तो फिर लड़की वालो से हे क्यों दहेज़ लिया जाता है... मै अपने घर वालो की हालत रोज देखती हु और मन में यही सोचती हु की जब मेरे घर वालो का ये हाल है तो और बाकी सब लडकियों के घरों में क्या होता होगा....बस एक रिवाज के नाम पर कई लडकियों की शादी नहीं हो पाती या फिर कई लडकिय दहेज़ की भेट चढ़ जाती है.... जब लड़के की शादी लड़के की परवरिश से लेकर उसकी सगाई या शादी का पूरा खर्चा लड़के वालो को मांगना हे है तो वो लडको को पलते पोसते हे क्यों है.... क्यों किसी लड़की के घरवालो के कंधो पर दहेज़ का बोझ बढ़ाते है.... ये एक सवाल है जो मुझे परेशान किया जा रहा है...उम्मीद है कोई तो जवाब मिलेगा....मै सभी से पुछती हू....आशा है की आप सब मेरी सहायता करेंगे....

5 comments:

  1. arthi chadi hazaaron kanya beth na paai doli main
    lakho ghar barbad hue is dahej ki holi main.

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  2. वास्तव में ! पहले से विवाह के समय नवविवाहितों को कुछ उपहार देने की प्रथा को आज दहेज़ का रूप मिल गया | इसका कारण; समाज में जिन लोगों के पास अधिक धन हो गया उन्होंने दिखावे के लिए व्यर्थ खर्च और अधिक उपहार देना, मतलब दिखावा करना आरम्भ कर दिया, जो आज समाज के लिए हानिकर हो गया है | उनकी देखा-देखी ये बुराई का रूप बन गया | उन युवाओं को भी इसमें अपना स्वाभिमान कम होता प्रतीत नहीं होता जिनकी और से दहेज़ की मांग की जाती है |
    इस सबके लिए हमारा अपनी स्वस्थ परम्पराओं से दूर होते जाना भी एक कारण है और उससे भी बड़ा कारण ; मैं समझता हूँ कि दिखावा ही है

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  3. pandat sachin10/5/10 6:17 PM

    bilkul theek baat hai aapka question bilkul jayaj hai. lekin agar charo taraf faile is lalach ki aag aur naitikta kee kami ne aapko vyathit kiya hai to ye batayen ke kyon ladki ke pita damad dhoondte samae ladke ke charitra uske sanskaro ke bare me janne me ruchi na rakh kar kewal uske salary package aur ghar kee aarthik sthiti janne me interested hote hain. damad yadi "kabhi kabhi/occasionally" drink le to adhiktaar ko koi aapatti nahi par agar uska ghar kiraye ka hai ya wo apnee chhoti behno ka vivah karke apne mata pita ke sath hi rehna chahta hai to ladka reject kiya ja sakta hai. kyun adhiktar ladkiyan kathit swatantrata ke liye aisa ghar chahti hain jahan wo aur uska pati hi hon. kyun bhare poore sanyunkt pariwaro ko ladkiyan pasand nahi kartin. jahan pariwar hae wahan sanskar hai, par ajkal ye sab bate outdated ho gae hain, aur jo log dahej ke danav kee duhai dete hain unse poochha jana chahiye ke apne aur apne purto ke vivah ka kya vivran tha. kya wo bhi teen vastron me bahu vida kara laye the

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  4. dhanya wad aapka pandat sachin ji lekin ye to aapne saaf saaf ladko ko bachane waali baat likhi hai... ha kuch log honge par aaj bhi ladkiya he dahej ki balivedi par jalti hai.... ladko ko nahi jalaya jaata...

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  5. sab gadbad hai. me ek aisy aunty ko janta tha jo ki ab gujar gayi hai,apani shadi ke bad sasural valo ki jyada dahej ki mang ke jhagde ke karan 6 sal tak mayke rahi thi,lekin jab usake bete ki shadi ki bat chali to kahi bhi samjota karne ko teyar nahi hui.

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