21.5.10

अब ये नेता नामक प्राणी किस वर्ण में आएगा?-कुंवर जी,

मै समझ नहीं पा रहा हूँ कि मै कैसे पूछूं!



क्या वर्ण वयस्था उचित थी या है या हो सकती है?


उस हिसाब से चार वर्ण-
एक-पंडित जो ज्ञान बांटता है,
एक क्षत्रिय-जो अपनी जान की भी परवाह नहीं करता दूसरो की रक्षा करने में,
एक वैश्य-जो सभी के लिए 'अर्थ' को सही अर्थो में प्रयोग करता है,व्यापार करता है,
एक शुद्र-जो सेवा करने में ही अपनी मुक्ति जानता है!

अब ये नेता नामक प्राणी किस वर्ण में आएगा?
आदरणीय गोदियाल जी की पोस्ट पर टिप्पणी करते समय आया ख्याल आपके हवाले...
कृप्या सभी वर्णों की गरीमा और सम्मान को ध्यान में रख कर जवाब देना!


मुझे आपसे बहुत उम्मीदे है.....






जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,


4 comments:

  1. गोदियाल जी हम बात तो आधुनिकता कि करते है लेकिन जीते है उन्ही पुरानी परम्पराओं में, आज सभी पार्टियाँ जाती के आधार पर जनगरना कराना चाहती है यह कही से भी न्याय संगत नहीं लगता है. ये राजनेता उन्ही लोगों के बीच से जीत कर आते है और बदले में जाती के नाम पर उन्हें अपमानित करते है, एक बार जे. बी. कृपलानी महात्मा गाँधी जी से मिलने पच्छिम चम्पारण ट्रेन से जा रहे थे वो अपने सीट पर बैठे थे उनके सामने वाली सीट पर चार सज्जन और बैठे थे वो आपस में बात कर रहे थे फिर वो कृपलानी जी से बात करने लगे, उसमे से एक सज्जन कृपलानी जी से पूछ बैठे आपका नाम क्या है, कृपलानी जी बोले मेरा नाम जे. बी.कृपलानी है, वो सज्जन कृपलानी शब्द से जाती का अनुमान नहीं लगा पाए, तो पूछे आप किस जाती से है, कृपलानी ली उस सज्जन का मुंह देखने लगे और पूछे कि जाती से आपका क्या अभिप्राय है. वह सज्जन बोले जैसे ब्राम्भन, छत्रिय, वैश्य या छुद्र,होता है इन्ही में से कोई एक होंगे , तो कृपलानी जी बोले मै किस जाती से हूँ यह मै आज तक नहीं सनझ पाया हूँ कृपया आप ही मुझे बता दीजिये, क्यों कि मै सुबह जब नृत्य क्रियाओं से निवृत होता हूँ तो उस समय मै छुद्र बन जाता हूँ जब दिन भर के कार्यों के लिए घर से बाहर जाता हूँ, तो छत्रिय बन जाता हूँ, संध्या में जब पूजा अर्चना करता हूँ तो ब्राम्भन बन जाता हूँ और रात में जब दिन भर का लेखा-जोखा का हिसाब करता हूँ तो वैश्य बन जाता हूँ तो आप बताइए कि मै कौन जाती से हूँ . वो चारो सज्जन कृपलानी जी को देखते रह गए, फिर कहने लगे कृपया अपना परिचय दिजिये क्यों कि आप आम आदमी नहीं हैं . तब कृपलानी जी बोले मेरा नाम जे.बी.कृपलानी ही है और मै गाँधी जी से मिलने पच्छिम चंपारण जा रहा हूँ. पहले के नेता जाती का भेद-भाव मिटते थे और आज के नेता जाती के आधार पर जनगड़ना कराते है.
    अजय केशरी

    ReplyDelete
  2. क्या कहूँ कुछ कहा नहीं जाय,
    बिन कहे भी रहा नहीं जाय!
    क्या ही अच्छा हो अगर आप का ये नेता !
    स्वर्गीय की श्रेणी में आ जाय !!

    इस शर्मसार जाती के लिये आप की भावनाओ की कदर करते हुए

    आपका, आदर्श के भल्ला

    ReplyDelete
  3. क्या कहूँ कुछ कहा नहीं जाय,
    बिन कहे भी रहा नहीं जाय!
    क्या ही अच्छा हो अगर आप का ये नेता !
    स्वर्गीय की श्रेणी में आ जाय !!

    इस शर्मसार जाती के लिये आप की भावनाओ की कदर करते हुए

    आपका, आदर्श के भल्ला

    ReplyDelete
  4. @ajay kesari ji,@aadarsh ji- aapka shukriya apne anmol vichaar yaha prastut karne ke liye...
    aapki salaah vichaarniya hai...
    kunwar ji,

    ReplyDelete