फिर एक बार नक्सलियों ने सत्ता को चुनौती दी है। मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के ट्रैक पर धमाका करके 65 लोगों की जान ले ली है। नक्सलियों के समर्थक बुद्धिजीवी उनका पक्ष लेते हुए कहते हैं कि समस्या के मूल में जाना होगा, समझना होगा कि वे आखिर बंदूक उठाने को मजबूर क्यों हुए। क्या वे बता सकते हैं कि इन हत्याओं से आदिवासियों की, गरीबों की समस्याएं हल हो जायेंगी? क्या इस तरह नक्सली बहुसंख्य देशवासियों की सहानुभूति खो नहीं रहे हैं? यह सर्वहारा के कल्याण का दर्शन है या निरा पागलपन? विस्तार से यहाँ पढ़ें------
बात-बेबात
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