देहरादून, २4मई। प्रदेश से खाली हो रही राज्यसभा सीट को लेकर उत्तराखंड में अंदरखाने घमासान मचा है। सीट को पाने के लिए कई भाजपा नेता एड़ी चोटी का जोर लगाकर हाईकमान की मान मनोबल में लगे हुए हैं। वहीं भाजपा हाईकमान इस सीट पर वरिष्ठ नेत्री नजमा हेपतुल्ला को बैठाने का लगभग मन बना चुका है। क्योंकि भाजपा महिला आरक्षण के साथ-साथ आगामी होने वाले विधनसभा चुनाव को देखते हुए मुस्लिम मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में किये जाने को लेकर भी खाका तैयार कर रहा है। क्योंकि आगामी २०१२ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम मतदाताओं के सहारे बहुमत प्रदेश में प्राप्त कर सकती है क्योंकि २००७ के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं का सहयोग उस ढंग से नहीं मिल पाया जिसकी आशा की जा रही थी। जिसे देखते हुए अब भाजपा हाईकमान की नजर उत्तराखंड में होने वाले आगामी २०१२ के विधानसभा चुनाव पर जा टिकी है।
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश भाजपा उत्तराखंड से राज्य सभा की सीट पर नजमा हेपतुल्ला के पक्ष में नजर आ रही क्योंकि उसका मानना है कि मुस्लिम मतदाताओं का वोट भाजपा को अन्य वोटों की अपेक्षा कम मिलता है ।इसलिए राज्यसभा सीट के लिए किसी अन्य का नाम सामने आना चाहिए। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता तरूण विजय भी राज्यसभा जाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। और ऐसी भी जानकारी प्राप्त हो रही है कि प्रदेश के मुखयमंत्री भी तरूण विजय को राज्यसभा भेजने के इच्छुक हैं। वहीं पूर्व मुखयमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व भुवनचंद्र खंडूडी नजमा हेपतुल्ला के पक्ष में लॉबिंग करते नजर आ रहे हैं। जबकि भाजपा का एक अन्य गुट प्रदेश के सह प्रभारी डा. अनिल जैन के सुर में सुर मिलाकर राज्यसभा भेजे जाने को लेकर पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाता नजर आ रहा है। क्योंकि भाजपा के उत्तराखंड प्र्रभारी के रूप में नये व्यक्ति की ताजपोशी भी होनी बाकी है और प्रदेश के सह प्रभारी डा. जैन कोई खास वजन उत्तराखंड भाजपा में नहीं डाल सके हैं। इसलिए उनके राज्य सभा पहुंचने की संभावनाएं ना के बराबर बनी हुई हैं। यदि हाईकमान स्तर से निर्णय लिया गया तो नजमा हेपतुल्ला के नाम पर भाजपा हाईकमान मुहर लगा सकता है। यदि प्रदेश संगठन अडा तो तरूण विजय को भी राज्यसभा सदस्य के लिए प्रत्याशी बनाया जा सकता है। वहीं कई अन्य भाजपा नेता भी राज्यसभा जाने की जुगत में एडी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बीते कई दिनों से खंडूडी व कोश्यारी के बीच हुई मुलाकातों को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है कि दोनो मिलकर किसी एक के नाम पर सहमति बनाने का पूरा मन बना चुके हैं। हालांकि राजनैतिक गलियारों में उनकी मुलाकातों को लेकर कई तरह के अर्थ निकाले गए और राजनीति का तापमान भी काफी गरम रहा।
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