6.5.10

जल्लाद भी खुश हो गया कसाब की फांसी से

-बोला- सरकारी बुलावे का मुझे बेसब्री से इंतजार
-दहशतगर्दों को सरेआम फांसी होनी चाहिए

खूंखार आतंकी अजमल कसाब को फांसी होने से केवल वही लोग खुश नहंी है जिन्हें उसने जख्म दिये हैं बल्कि उसे फांसी देने के इंतजार में बैठा जल्लाद भी खुश है। उसकी दिली ख्वाहिश है कि वह बेगुनाहों की जाने लेने वाले दहशतगर्द को फांसी पर लटकाये। इस जल्लाद का नाम है मम्मू। एक मुलाकात में मम्मू ने कहा कि दहशतगर्दों को भरे मैदान में फांसी होनी चाहिए ताकि आगे से कोई ऐसा करने की जुर्रत ही ना कर सके। सरकारी मुलाजिम के तौर पर यूं तो मम्मू की हैसियत बहुत छोटी है, लेकिन वह यह कहने से कतई नहीं चूकता कि आतंकवादियों पर कोई भी दया दिखाना आतंकवाद की जड़ों को फैलने का मौका देने जैसा होगा। जल्लाद शब्द किसी के लिये गाली के समान हो सकता है, लेकिन मम्मू जल्लाद अपने पेशे से भी खुश है। वह कहता है- ‘यह मेरा पेशा है और अपने पेशे से नफरत कैसी?’ मम्मू की पत्नी चमन कली जानती है कि उसके पति का पेशा क्या है। मम्मू दावा करता है कि गोली या ट्रेन की खतरनाक टक्कर से तो एकबारगी कोई व्यक्ति बच सकता है, लेकिन फांसी के फंदे से नहीं। क्योंकि 30 सेकेण्ड में अभियुक्त की सांसों की डोर टूट जाती हैं। वह बताता है कि फांसी देने से पहले अभियुक्त के हाथ व पैरों को बांध दिया जाता है और मंुह पर कपड़ा डालकर उसके गले में फंदा डाल दिया जाता है। मम्मू जल्लाद सरकारी बुलावों के बाद जबलपुर, जयपुर, दिल्ली व पंजाब में जाकर अभियुक्तों को वह फांसी पर लटका चुका है। मम्मू कसाब को फांसी देने के इंतजार में है। -नितिन सबरंगी

2 comments:

  1. क-कसाई
    सा-सरफ़िरा
    ब-बे-ईमान

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