26.5.10
पावर प्रोजेक्ट का भूत सीएम दरबार से उठा
पावर प्रोजेक्ट का भूत सीएम दरबार से उठाविरोध्ी चाहते हैं 2012 में अर्जुन नहीं अभिमन्यु बने निशंकदेहरादून, 26 मई। पावर प्रोजेक्ट के भूत ने उत्तराखंड सरकार की साख को देशभर में जहां बट्टा लगाने का काम किया वहीं सीएम दरबार के ही कुछ ददरबारियों की कारसतानी के चलते देशभर में प्राचारित करने का षडयंत्रा भी रचा गया। प्रदेश की कमान संभालने के बाद से ही डाक्टर निशंक की राह में हर बार रोड़े अटकाने का काम उनके विरोध्ी करते रहे हैं। लेकिन हर बार अर्जुन की तरह जिस तरह से डाक्टर निशंक ने निशाने साध्कर हर बार विजयश्री हासिल की उसने विरोध्यिों को यह सोचने पर विवश कर दिया कि आखिर निशंक की राजनीति के आगे हर कोई मुकाबला नहीं कर सकता। दो ध््रुवों में बंटे खंडूड़ी व कोश्यारी भी एक ही खेमे में जुटे तो प्रदेश की राजनीति में कई तरह की आशंकाओं को पिफर से पुर्नजन्म मिलता हुआ देखा गया। पावर प्रोजेक्ट के भूत ने निशंक की साख को जहां देशभर में गलत तरीकेे से प्रचारित करने का जो खेल एक टीवी चैनल के इशारे पर खेला गया उसमें भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस व सीएम के दरबारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यहां तक कि टीवी चैनल के दिल्ली कार्यालय में भी डाक्टर निशंक को लाइन पर लेने का खेल एक भाजपा नेता द्वारा पूरी तरह से अंजाम दिया गया। वहीं पूरे खेल को उत्तराखंड में डेढ महीने से अध्कि समय तक रहते हुए ऐसे स्थानपर खेला गया जिसकी भनक प्रदेश के मुख्यमंत्राी डा. निशंक तक को नहीं लग सकी। पावर प्रोजेक्ट को लेकर सारे दस्तावेज जिस तरह से टीवी चैनल को मुहैया कराए गए उसके पीछे कहीं न कहीं एक बड़े षडयंत्रा की बू भी सामने आ निकली है। दस्तावेजों को जिस तरह से दूसरे हाथों में पहुंचाकर पावर प्रोजेक्ट के आवंटन को रोकने का खेल खेला गया उसे लेकर भी पैसे की मोटी डील उभरकर सामने आ गई है। जब प्रदेश के मुख्यमंत्राी डा0 निशंक को अपने खिलापफ रचे गए षडयंत्रा का पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई कि आखिर उन्हीं के कुछ लोगों द्वारा इस षडयंत्रा को पूरी तरह तैयार किया गया। जिसके बाद जांच की तो परत दर परत पूरे घटनाक्रम की खुलकर सामने आ गई। कांग्रेसी नेताओं के साथ-साथ भाजपा नेताओं की भूमिका भी इस मामले में पूरी तरह खुलकर जैसे ही प्रदेश के आका को लगी तो उन्होंने गोपनीय जांच कर उन लोगों से दूरी बनानी शुरू कर दी जो कापफी विश्वास पात्रा माने जाते थे। सबसे पहले पावर प्रोजेक्ट के भूत पर सीएम के दरबारी पर डा. निशंक का कहर टूटा उसके बाद जल विद्युत निगम के योगेंद्र प्रसाद उनके निशाने पर रहे बाकी के बचे लोगों से डा. निशंक ने अब बेहद दूरी बनाकर उन्हें सीएम दरबार से दूर रहने तक की सलाह दे डाली है यहां तक कि मुख्यमंत्राी की पांचवी मंजिल में उनके प्रवेश तक को प्रतिबंध्ति कर दिया गया है क्योंकि पावर प्रोजेक्ट को लेकर पूरा खेल सीएम की पांचवी बिल्डिंग से ही संचालित किया जाता रहा। कुल मिलाकर अब पावर प्रोजेक्ट के भूत पर कांग्रेस कोर्ट जाने की बात जनता के बीच कह तो रही है लेकन विध् िविशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के पास कोई ठोस हथियार कोर्ट में चलाने लायक मौजूद ही नहीं है। क्योंकि पावर प्रोजेक्ट का अंतिम आवंटन अभी तक कागजों में नहीं किया गया है जिसने कांग्रेस के खेल को पूरी तरह बिगाड़ डाला है। वहीं अपने विरोध्यिों को परास्त करने में प्रदेश के सीएम अब पूरी जी जान से जुट गए हैं। और विश्वास का कदम बेहद पफूंक-पफूंक कर रखा जा रहा है। क्योंकि विरोध्ी चाहते हैं कि डा. निशंक अर्जुन की बजाय 2012 में अभिमन्यु की भूमिका निभाते हुए यु( में परास्त हो तभी उनकी विजयश्री हो सकती है।
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