भड़ास blog

अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...

29.5.10

अशोक जमनानी की लघु कथा: पेटदर्द

मंत्री जी के पेट में रह-रह कर दर्द उठता। दिन पर दिन बीतते जा रहे थे लेकिन दवा और दुआ दोनों ही बेअसर सिद्ध हो रहीं थीं।अच्छे से अच्छा इलाज़ चल रहा था; यहां तक कि विदेशी डॉक्टर भी देखकर जा चुके थे। वैसे वो विदेशी डॉक्टर  भारत आए तो थे दुनिया के सबसे बड़े अज़ूबे ताज़ महल को देखने पर मंत्री जी को देखने भी जाना पड़ा। उन्होंने सोचा चलो भारत आकर................................................ पूरी कहानी पढ़ने हेतु आपका स्वागत है.अपनी माटी पर 


माणिक

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल at 8:43 PM
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