देहरादून। जनचर्चा है कि खण्डूडी व कोश्यारी में संधि हो गयी है और खण्डूडी किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। पिछले कई सालों से खंडूडी व कोश्यारी आपस में भिडे रहे और इस लडाई के बीच शकुनी मामा की भूमिका आखिर जिसने निभाई वह अब दोनों के ही निशाने पर बना हुआ है। पिछले काफी समय से खंडूडी के तख्ता पलट को लेकर यह प्रचारित किया जाता रहा कि कोश्यारी गुट खडूडी की घेराबंदी में लगा हुआ है और मुख्यमंत्री पद को लेकर जोर आजमाईश की जा रही है जिसके बाद दिल्ली दरबार तक कोश्यारी व खंडूडी की लडाई खुलकर सामने आई और खंडूडी के तख्ता पलट के बाद प्रदेश की कमान डा. निशंक के हाथों में चली गई। अब जब दोनों के बीच लडाई कराने का खुलासा हुआ तो पता चला कि कभी भी दोनों पक्षों के बीच एक दूसरे को लेकर किसी ने भी मनमुटाव की बातें नहीं कही। जिसके बाद दोनों ही पक्ष आपस में गले मिलकर अब उस सकुनी मामा का सबक सिखाने का मन बना चुके हैं जिसकी बदौलत दोनों पक्षों में शीत युद्ध जारी रहा। प्रदेश की भाजपा सरकार में लगातार अन्तःविरोध के स्वर सामने देखे जाते रहे और जिसका परिणाम यह रहा कि लोक सभा की पांचों सीटे भाजपा कांग्रेस की झोली में देने को मजबूर होती चली गई। शकुनी मामा के दिमाग ने प्रदेश की राजनीति में ऐसा बवंडर खडा किया जिससे दोनों लड्डू शकुनी मामा के हाथ लगे और खंडूडी व कोश्यारी प्रदेश की राजनीति से हाशिये पर चले गए। अब जब दोनों के बीच बैठकर वार्तालाप हुआ तो पता चला कि कभी भी दोनो पक्षों में अन्तःविरोध की कोई बातें नहीं कही गई और पूरा खेल शकुनी मामा ने इस तरह से रचाया कि दोनों पक्ष इस खेल में उलझ कर रह गये या यह कहा जाए राजनीति के महायोद्धाओं को अभिमन्यु की तरह निशाना बना दिया गया और खुद राजनीति के अर्जुन की तरह निशाना साध्कर अपनी विजयश्री हासिल कर ली। अब शकुनी मामा का भेद खुद जाने के बाद उसे इस बात का डर सता रहा है कि आखिरकार अब दोनों पक्षों को किस तरह अलग किया जाए जिससे दोनों की ताकत का बंटवारा हो और उनकी राह में कोई रोडा सामने न आ सके। कुल मिलाकर प्रदेश में चले राजनैतिक ड्रामे ने कांग्रेस को जहां पांचों लोकसभा सीटें दे डाली वहीं अब राज्यसभा जाने के लिए भी कई नेता एडी चोटी का जोर लगाते हुए देखे जा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड के नेताओं की जंग राज्यसभा सीट को लेकर तेज हो गयी है, प्रदेश के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि भाजपा नेता तरूण विजय को राज्य सभा में भेजा जाए। वहीं मुस्लिम वोटों पर कब्जा करने के इरादे से नजमा हेमतुल्ला को राज्यसभा में भेजे जाने का खाका दूसरा गुट तैयार करने में जुट गया है। जबकि हाईकमान २०१२ के उत्तराखंड में होने वाले मुस्लिम वोटों को कब्जा करने के इरादे से यह सीट किसी महिला को देने का मन बना रहा है क्योंकि ३३ प्रतिशत आरक्षण का लाभ महिलाओं को देने के साथ-साथ भाजपा किसी भी कीमत पर २०१२ का चुनाव जीतना चाहती है। कुल मिलाकर शकुनी मामा का भेद खुल जाने से अब उसे अपने ऊपर मंडरा रहा खतरा भी बढता हुआ दिखाई दे रहा है और अब शकुनी मामा हर चाल बेहद फूंक-फूंक कर चलने में खुद दिलचस्पी ले रहे हैं।उसकी नजर में कोई भी विश्वास के काबिल नहीं जिसपर विश्वास किया जा सके। वहीं ऐसी भी चर्चाएं हैं कि अब दोनों ताकत मिलकर एक नए भूचाल को भी हवा दे सकती हैं।
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