इस बार पार्टी प्रेम ने क्यों नहीं जोर मारा विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के दिल में?
राजीव ने दी थी पहली टिकिट : अर्जुन ने उठाया था फर्श से अर्श तक
भोपाल गैस कांड़ : राजीव,अर्जुन कठघरे में
भोपाल। बीते दिनों कांग्रेस ने विधानसभा के विशेष सत्र का विरोध कर बहिष्कार का निर्णय लिया था। इंका विधायक हरवंश सिंह ने विस उपाध्यक्ष रहते हुये ना केवल सत्र का बहिष्कार किया था वरन यह बयान देकर चौंका दिया था कि उनके लिये पार्टी पहले हैं और बाद में विस उपाध्यक्ष का पद हैं। उनके इस बयान को लेकर काफी राजनैतिक बवाल मचा था। संसदीय कार्य मन्त्री ने यह मामला सदन में उठाया था लेकिन अध्यक्ष ने कोई व्यवस्था नहीं दी थी। प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने भी राज्यपाल के दरवाजे खटखटाये थे और उनके खिलाफ कार्यवाही करने की गुहार लगायी थी। आज 25 साल पहले के भोपाल गैस कांड़ के फैसले के बाद भाजपा के आक्रामक तेवरों के चलते तत्कालीन प्रधानमन्त्री स्व. राजीव गांधी और मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह तीखे आरोपों के कठघरे में खड़े दिखायी दे रहें हैं। आरोपों प्रत्यारोपों के इस दौर में इस बार प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की चुप्पी चर्चित हैं और लोग यह चर्चा करने से नहीं चूक रहें हैं कि हरवंश सिंह के दिल में इस बार पार्टी प्रेम क्यों नहीं उबाल मार रहा हैंर्षोर्षो यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि सन 1990 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने ही हरवंश सिंह को सिवनी विधानसभा सीट से पहली बार कांग्रेस की टिकिट दी थी। इससे पहले काफी प्रयास करने के बावजूद भी वे कभी विस की टिकिट नहीे ले पाये थे। यह बात भी किसी से छिपी नहीं हैं कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह ने ही हरवंश सिंह को फर्श से उठा कर अर्श तक पहुचाया था। जिस दौर में यह कांड़ घटित हुआ था उस समय हरवंश सिंह भी अर्जुन सिंह के दरबार के नव रत्नों में से एक महत्वपूर्ण रत्न हुआ करते थे। विधानसभा के विशेष सत्र के विरोध के दौरान इंका विधायक हरवंश सिंह के बयान पर राजनैतिक विश्लेषको का उस समय भी यह मानना था कि यह कोई पार्टी प्रेम नहीें हैं वरन राज्यसभा चुनाव के बाद खाली होने प्रदेश इंकाध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष का पद हथियाने की सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा है। इस बार राज्यसभा में प्रदेश इंका अध्यक्ष सुरेश पचौरी की दावेदारी सुनिश्चित मानी जा रही थी। उन्हें दिल्ली में सक्रिय होने से रोकने के लिये दिग्गी राजा ने नेता प्रतिपक्ष एवं बुजुर्ग आदिवासी महिला नेत्री जमुना देवी का नाम आगे बढ़वा दिया था। प्रदेश के राजनैतिक हल्कों में यही चर्चा थी कि यदि पचौरी राज्यसभा में जाते हैं तो प्रदेश इंका अध्यक्ष नया बनाया जायेगा और यदि जमुना देवी सांसद बनतीं हैं तो नया नेता प्रतिपक्ष बनाया जायेगा। इसी अनुमान पर लंबे समय से प्रदेश के मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर आंख गड़ाये बैठे हरवंश सिंह ने अपना यह दांव चला था। कोई भी एक पद पाने के लिये वे आलाकमान के सामने पार्टी के प्रति अपने समर्पण के प्रमाण के रूप में अपना वह बयान सामने रखते थे कि उनके लिये पार्टी पहले हैं फिर विधानसभा उपाध्यक्ष का पद हैं। इस बयान को लेकर उन पर हुये भाजपायी हमले को आधार बनाकर यह भी बताने का प्रयास करते कि मैंने तो पार्टी के लिये अपना पद तक दांव पर लगा दिया था। लेकिन दिग्गी राजा के दांव ने उनके सपने चूर चूर कर डाले और सभी पूर्वानुमानों को झुठलाते हुये ना तो पचौरी और ना ही जमुना देवी संसद के गलियारे तक पहुंच पायीं और अचानक ही प्रदेश की पूर्व मन्त्री और अनुसूचित जाति की महिला नेता डॉ. विजय लक्ष्मी साधो राज्यसभा में चलीं गईं। इससे अब प्रदेश में कांग्रेस के खेमे में कोई परिवर्तन होने की संभावना नहीं हैं। राजनैतिक विश्लेषको ंका मानना हैं कि इसीलिये भोपाल गैस कांड़ को लेकर उठे बवंड़र पर हरवंश सिंह ना केवल चुप हैं वरन इन दिनो कश्मीर की वादी के आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भाग ले रहें हैं।
नेतानुमा ठेकेदार के साथ थाने में हुआ दुव्र्यवहार?
सिवनी। शहर के एक नेता नुमा ठेकेदार के साथ थाने में हुआ दुव्र्यवहार इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ हैं। जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं से निकटता रखने वाले ये ठेकेदार ना केवल सामामजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं वरन धार्मिक एवं खेलकूद के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता बनाये रहते हैं और अक्सर नेताओं और अधिकारियों के साथ मंचीय भागीदारी भी करते रहते हैं।। बताया जाता हैं कि अपने बुधवारी स्थित प्रतिष्ठान के किसी मुलाजिम को थाने ले जाने की बात पता लगने पर वे सिवनी थाने गये थे। आदतन जोर जोर से बोलने के आदी इन ठेकेदार की बात चल ही रही थी कि पुलिस के एक आला अधिकारी की उस कमरे में आमद हुयी और बात बिगड़ गई। फिर क्या था ऐसा कुछ भी हो गया जो नहीं होना चाहिये था। जो कुछ होने की चर्चा लोगों में व्याप्त हैं यदि वह सही हैं तो फिर इज्जतदार लोगों का तो भगवान ही मालिक हैं।
राजीव ने दी थी पहली टिकिट : अर्जुन ने उठाया था फर्श से अर्श तक
भोपाल गैस कांड़ : राजीव,अर्जुन कठघरे में
भोपाल। बीते दिनों कांग्रेस ने विधानसभा के विशेष सत्र का विरोध कर बहिष्कार का निर्णय लिया था। इंका विधायक हरवंश सिंह ने विस उपाध्यक्ष रहते हुये ना केवल सत्र का बहिष्कार किया था वरन यह बयान देकर चौंका दिया था कि उनके लिये पार्टी पहले हैं और बाद में विस उपाध्यक्ष का पद हैं। उनके इस बयान को लेकर काफी राजनैतिक बवाल मचा था। संसदीय कार्य मन्त्री ने यह मामला सदन में उठाया था लेकिन अध्यक्ष ने कोई व्यवस्था नहीं दी थी। प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने भी राज्यपाल के दरवाजे खटखटाये थे और उनके खिलाफ कार्यवाही करने की गुहार लगायी थी। आज 25 साल पहले के भोपाल गैस कांड़ के फैसले के बाद भाजपा के आक्रामक तेवरों के चलते तत्कालीन प्रधानमन्त्री स्व. राजीव गांधी और मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह तीखे आरोपों के कठघरे में खड़े दिखायी दे रहें हैं। आरोपों प्रत्यारोपों के इस दौर में इस बार प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की चुप्पी चर्चित हैं और लोग यह चर्चा करने से नहीं चूक रहें हैं कि हरवंश सिंह के दिल में इस बार पार्टी प्रेम क्यों नहीं उबाल मार रहा हैंर्षोर्षो यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि सन 1990 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने ही हरवंश सिंह को सिवनी विधानसभा सीट से पहली बार कांग्रेस की टिकिट दी थी। इससे पहले काफी प्रयास करने के बावजूद भी वे कभी विस की टिकिट नहीे ले पाये थे। यह बात भी किसी से छिपी नहीं हैं कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह ने ही हरवंश सिंह को फर्श से उठा कर अर्श तक पहुचाया था। जिस दौर में यह कांड़ घटित हुआ था उस समय हरवंश सिंह भी अर्जुन सिंह के दरबार के नव रत्नों में से एक महत्वपूर्ण रत्न हुआ करते थे। विधानसभा के विशेष सत्र के विरोध के दौरान इंका विधायक हरवंश सिंह के बयान पर राजनैतिक विश्लेषको का उस समय भी यह मानना था कि यह कोई पार्टी प्रेम नहीें हैं वरन राज्यसभा चुनाव के बाद खाली होने प्रदेश इंकाध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष का पद हथियाने की सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा है। इस बार राज्यसभा में प्रदेश इंका अध्यक्ष सुरेश पचौरी की दावेदारी सुनिश्चित मानी जा रही थी। उन्हें दिल्ली में सक्रिय होने से रोकने के लिये दिग्गी राजा ने नेता प्रतिपक्ष एवं बुजुर्ग आदिवासी महिला नेत्री जमुना देवी का नाम आगे बढ़वा दिया था। प्रदेश के राजनैतिक हल्कों में यही चर्चा थी कि यदि पचौरी राज्यसभा में जाते हैं तो प्रदेश इंका अध्यक्ष नया बनाया जायेगा और यदि जमुना देवी सांसद बनतीं हैं तो नया नेता प्रतिपक्ष बनाया जायेगा। इसी अनुमान पर लंबे समय से प्रदेश के मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर आंख गड़ाये बैठे हरवंश सिंह ने अपना यह दांव चला था। कोई भी एक पद पाने के लिये वे आलाकमान के सामने पार्टी के प्रति अपने समर्पण के प्रमाण के रूप में अपना वह बयान सामने रखते थे कि उनके लिये पार्टी पहले हैं फिर विधानसभा उपाध्यक्ष का पद हैं। इस बयान को लेकर उन पर हुये भाजपायी हमले को आधार बनाकर यह भी बताने का प्रयास करते कि मैंने तो पार्टी के लिये अपना पद तक दांव पर लगा दिया था। लेकिन दिग्गी राजा के दांव ने उनके सपने चूर चूर कर डाले और सभी पूर्वानुमानों को झुठलाते हुये ना तो पचौरी और ना ही जमुना देवी संसद के गलियारे तक पहुंच पायीं और अचानक ही प्रदेश की पूर्व मन्त्री और अनुसूचित जाति की महिला नेता डॉ. विजय लक्ष्मी साधो राज्यसभा में चलीं गईं। इससे अब प्रदेश में कांग्रेस के खेमे में कोई परिवर्तन होने की संभावना नहीं हैं। राजनैतिक विश्लेषको ंका मानना हैं कि इसीलिये भोपाल गैस कांड़ को लेकर उठे बवंड़र पर हरवंश सिंह ना केवल चुप हैं वरन इन दिनो कश्मीर की वादी के आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भाग ले रहें हैं।
नेतानुमा ठेकेदार के साथ थाने में हुआ दुव्र्यवहार?
सिवनी। शहर के एक नेता नुमा ठेकेदार के साथ थाने में हुआ दुव्र्यवहार इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ हैं। जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं से निकटता रखने वाले ये ठेकेदार ना केवल सामामजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं वरन धार्मिक एवं खेलकूद के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता बनाये रहते हैं और अक्सर नेताओं और अधिकारियों के साथ मंचीय भागीदारी भी करते रहते हैं।। बताया जाता हैं कि अपने बुधवारी स्थित प्रतिष्ठान के किसी मुलाजिम को थाने ले जाने की बात पता लगने पर वे सिवनी थाने गये थे। आदतन जोर जोर से बोलने के आदी इन ठेकेदार की बात चल ही रही थी कि पुलिस के एक आला अधिकारी की उस कमरे में आमद हुयी और बात बिगड़ गई। फिर क्या था ऐसा कुछ भी हो गया जो नहीं होना चाहिये था। जो कुछ होने की चर्चा लोगों में व्याप्त हैं यदि वह सही हैं तो फिर इज्जतदार लोगों का तो भगवान ही मालिक हैं।
मीडिया को कोसने से ज्यादा क्या आता हैं टका सा सवाल की एडरसन न जाता अब आ जाता हैं तो ऐसा क्या हो जाऐगा क्या हर कोई शांत हो जाऐगा क्या मीडिया खुद दूसरी खबर तलाशने लगा जाऐगी....
ReplyDeleteदरअसल समस्या को टालने का ये नमूना हैं, पीडितो के प्रति क्या बेहतर हो सकता हैं अब इस पर बहस होनी चाहिये, ताबूत ,दवा , सब पर चल रही बंदरबाट, नेताओ की कमीशन क्या इसके लिऐ भी आज क्या एडरसन ही समस्या हैं केन्द्र से भारी भरकम मुआवजा लेकर टैक्स पेयर की तो ऐसी तेसी कर दो पर जिनको मिलना हैं वो फिर भी दलालो के पीछे सडते मरते लिथरते रहे.....
सतीश कुमार चौहान भिलाई
मीडिया को कोसने से ज्यादा क्या आता हैं टका सा सवाल की एडरसन न जाता अब आ जाता हैं तो ऐसा क्या हो जाऐगा क्या हर कोई शांत हो जाऐगा क्या मीडिया खुद दूसरी खबर तलाशने लगा जाऐगी....
ReplyDeleteदरअसल समस्या को टालने का ये नमूना हैं, पीडितो के प्रति क्या बेहतर हो सकता हैं अब इस पर बहस होनी चाहिये, ताबूत ,दवा , सब पर चल रही बंदरबाट, नेताओ की कमीशन क्या इसके लिऐ भी आज क्या एडरसन ही समस्या हैं केन्द्र से भारी भरकम मुआवजा लेकर टैक्स पेयर की तो ऐसी तेसी कर दो पर जिनको मिलना हैं वो फिर भी दलालो के पीछे सडते मरते लिथरते रहे.....
सतीश कुमार चौहान भिलाई