10.6.10

BHOPAL GAIS KAND KE FAISLEY PAR VIDHWA VILAAP

" विधवा  विलाप  !
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--भोपाल  गैस कांड के फैसले के बाद नेता , मीडिया , सामाजिक  कार्यकर्त्ता , कानूनविद , मंत्री , अधिकारी , सभी एक जुट हो कर  "विधवा  विलाप " कर रहे है  .
पिछले २५ सालों में ये सारे लोग कंहा थे , क्या  इनका ज्ञान  और बोध तब मर गया था या सो  गया था . आखिर आज अचानक ये सारे के  सारे  इतनी ज्ञानी कैसे हो गए  .क्या ये माना जाये  क़ि पिछले २५ सालों में  इनका मस्तिष्क कुंद पड़ गया था  और आज अचानक ये जागृत  अवस्था में  आ गए  हैं .
दरअसल  भारत के लोगों की  यही  मनोवृत्ति  उन्हे  दूसरे
देशों के लोगो से पीछे  ले जाती है . 
हम लोग सोते रहते है और कोई हादसा  या  फिर किसी  बड़ी घटना  के होने पर पीनक से जाग  कर  चिल्लाने लगते हैं , बिना ये सोचे समझे क़ि वो क्या  कह रहे हैं , बोल रहे हैं .
अरे  चिल्लाना था  तो तब चिल्लाते  जब मुकदमा कायम हुआ था , या फिर तब हाहाकार  मचाते  जब 
१९९६ में  सुप्रीम  कोर्ट  ने  ज्यादा सजा  डी जाने वाली  धाराओं  में मुकदमा चलाने के  निचली  अदालत के फैसले को  रद्द  कर दिया था , पर तब ये सारे  ज्ञानी , विद्वान  शायद  पीनक में रहे होंगे  या इन का  ज्ञान   लुप्त हो गया रहा होगा .
अरे  ये सब ढोंग बंद करो , तुम सब के  विधवा  विलाप से   भोपाल  गैस कांड  के  पीड़ितों  का कोई फायदा  होने 
वाला नहीं है  . .....
अगर  पहले से ही भोपाल गैस हादसे  की ऍफ़ आई आर  दर्ज  करने से ले कर जाँच और सुनवाई तक  सभी  कानूनी  पहलुओं  पर ध्यान दिया गया होता  तो आज यह हालत ही नहीं पैदा होते  मगर आज जो लोग  हाहाकार  कर विलाप कर रहे हैं  , इनमें  से किसी ने भी  कभी भी गंभीरता  से इस मसले को लिया ही नहीं .
एक बात  और  खास कर से सरकार चलाने वालों  के लिए  क़ि जो हो चूका वो तो अब वापस आने वाला नहीं  मगर अब काम से काम  पीड़ित  लोगों क लिए  जो भी मुमकिन  मदद हो सकती है , उसमें  किसी  भही तेरह क़ि कोताही न होने पाए , इस पर जरूर  नज़र रखें . इस तरह  से  कम से क्म पीड़ितों  क़ि सेवा और सहायता  कर  उनका दुख और दर्द  जरूर हल्का किया जा सकता है /
.जारी .................

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