सुधर जाओ राकेश रोशन । विदेशी भाषा के डायलोग्स से भरपूर “काइट्स” की असफलता से कुछ सीखो। मानाकि आजकल विदेशों भी हिंदी फिल्मों को देखा जाता है, थोड़ा रेवेन्यू वहां से भी मिलता है। पर वहां भी आपकी फिल्में भारतीय ही देखते हैं और वे भारतीय फिल्में इसलिए देखते हैं कि वे उनकी मातृभाषा हिंदी में होती हैं। पर याद रखो, हमारी फिल्मों को हिट या फ्लॉप तो भारत का आम दर्शक ही बनाता है। अंग्रेजों ने भारत पर कुछ सालों तक शासन क्या कर लिया, तुम खुद को अंग्रेजों की औलाद समझने लगे हो और हिंदी को सौतेली मां। अनुराग से कह कर फिल्म में विदेशी रंडी की जगह बढ़िया सी देसी हिरोइन ले लेते तो फिल्म कुछ तो चल ही जाती। धिक्कार है तुम्हें और रितिक को। मुझे तो तुम्हें भारतीय कहने में भी शर्म आ रही है।
आप ने सही फरमाया...देखा गया है कि टी.वी. में इंटरव्यू देते समय भी हमारी भारतीय फिल्मी हस्तियां इंग्लिश बोलना पसंद करती है!...दिखावा ऐसा करतें है, जैसे कि इन्हे हिन्दी आती ही न हो!...चाहे इंटरव्यू लेने वाला क्यों न हिन्दी में सवाल पूछ रहा हो!...क्या यही इनकी देशभक्ति है?
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