6.6.10

क्यों देखे “मुंगेरीलाल” ने हसीन सपने?

                       (उपदेश सक्सेना)
मुंबई को पैसे वालों की नगरी कहा जाता है. वहाँ के लोगों में पैसे के सामने मानवीयता बहुत कम है, यदाकदा फ़िल्मी सितारे किसी आपदा की स्थिति में अपना नाम चमकाने के लिए कुछ दान-पुण्य करते रहते हैं, मगर इसमें भी वे अपना नफ़ा-नुकसान पहले से आँक लेते हैं. यह पोस्ट उस महान कलाकार को समर्पित है, जो इस वक़्त अपने जीवन के बहुत खराब दौर से गुज़र रहा है, उसका नाम है रघुवीर यादव. रघुवीर को उनके घरेलू झगड़े के कारण कल तक के लिए जेल भेजा गया है, और यदि वे ढाई लाख रुपए का इंतजाम नहीं कर सके तो संभव है उन्हें जेल से रिहाई न मिले.
१५ साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई की राह पकड़ने वाले मध्यप्रदेश की संस्कारधानी, जबलपुर के इस जन्मजात कलाकार ने पारसी थियेटर से अपनी शुरुआत की. बाद में दिल्ली पहुँचकर उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में प्रशिक्षण लिया. लीक से हटकर बनने वाली फिल्मों में एक मंझे हुए कलाकार साबित हुए रघुवीर ने थियेटर और गायन में भी महारथ हासिल की है. 70 नाटकों के लगभग 2500 शो में यादव ने अपनी प्रतिभा साबित की है, वहीँ पेप्सी समेत कई विज्ञापनों में अपनी आवाज़ देकर उन्होंने इस क्षेत्र को भी अपना मुरीद बना लिया. 1985 में प्रदर्शित रघुवीर निर्मित फिल्म ‘मैसी साहब’ जिन्हें याद होगी वे जानते होंगे की यादव किस क़दर प्रतिभाशाली हैं, इस फिल्म को दो अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे. वे एकमात्र ऐसे कलाकार हैं जिन्हें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में रजत मयूर पुरस्कार से नवाज़ा गया है. सलाम बाम्बे, लगान,वाटर जैसी सफल फिल्मों में काम कर चुका यह कलाकार अब जीवन के इस दौर में अर्थाभाव से गुजर रहा है, इसका दोष शायद यह हो सकता है कि इसने किसी खान या खन्ना परिवार में जन्म लिए बिना निर्मोही मुंबई में सफल होने का दुस्साहस किया. जीवन में उतार-चढ़ाव सभी के साथ आते हैं, मगर चंद लाख रुपयों की खातिर जेल में रहने का दंश भोग रहे इस कलाकार को शायद अफ़सोस होगा कि उसने क्यों “मुंगेरीलाल के हसीन सपने” देखे? क्या करोड़ों रुपये अपने कुत्तों पर खर्च कर देने वाले कतिपय महान कलाकारों की आत्मा उन्हें इस बात के लिए नहीं कचोटती कि अपने एक साथी की मुसीबत में मदद करें.

2 comments:

  1. ye mumbai glamour ki duniya hai..yahan kala se jyada naam ki kaamat hai..
    main kadra karti hu aap ki jinhone is mahan kalakar ki situation ko highlite kiya..shayad ise padh kar kisi ko to daya aa hi jaye..

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  2. इतने अच्छे कलाकार को इस हालत मे देखकर बहुत दुख हो रहा है। कहाँ है वो बड़े-बड़े हीरो जो दानवीर होने का दिखावा करते हैं लेकिन एक कलाकार कि मदद नहीं कर सकते। मुंबई सिर्फ दिखावे का शहर है इंसानियत तो खत्म हो चुकी है, लोग मदद करते भी हैं तो सिर्फ दिखावे के लिए या अपने फायदे के लिए।

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