13.6.10

जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानन्द जी ने कहा कि हमारे भगवान और भगवती को जिले का पूरा ध्यान हेभले ही राजनेताओं ने इसे भुला दिया हो
जिले की भाजपायी राजनीति से सम्बंधित तीन नेताओं को प्रभात झा ने अपनी टीम में जगह दी हैं। इनमें पूर्व केन्द्रीय मन्त्री प्रहलाद पटेल एवं विधायक द्वय श्रीमती शशि ठाकुर को कार्यकारिणी सदस्य और नीता पटेरिया को प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया हैं।प्रदेश के चार सांसदों में से सिर्फ नीता को मन्त्री ना बना कर ऐसा सौतेला व्यवहार महिला हितेषी मुख्यमन्त्री की छवि बनाने वाले मुख्यमन्त्री शिवराज मामा ने क्यों कियार्षोर्षो यह लोगों की समझ से परे हैं। जिला युवक कांग्रेस शहर और गा्रमीण के अध्यक्षो की नियुक्ति हुये काफी समय हो गया था। ऐसा लगने लगा था कि मानो दोनों के बीच अपनी कार्यकारिणी ना बनाने की प्रतियेगिता चल रही थी। फिर ना जाने ऐसा क्या हुआ कि कार्यकारिणी बनाने की ऐसी होड़ मची कि कुछ ही दिनों के अन्तर में दोनों की ही कार्यकारिणी अखबारों में छप गईं।महाराजश्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि भले ही इस जिले के राजनीतिज्ञों की उदासीनता और इस जिले के प्रति उनके मन में उपजे भाव के चलते यहां का संसदीय क्षेत्र समाप्त हो गया हो, यहां बनने वाली चतुष्गामी सड़क का मामला अटक गया हो या फिर बड़ी रेल लाइन जो श्रीधाम (गोटेगांव) से रामटेक तक घोषित होने के बाद भी भुला दी गई हो ,किन्तु हमारे भगवान और भगवती राजनेताओं की तरह नहीं हैं उन्हें इस जिले के हितो का पूरा पूरा ध्यान हैं।
शिवराज मामा का नीता के साथ सौतेला व्यवहार क्यों -
जिले की भाजपायी राजनीति से सम्बंधित तीन नेताओं को प्रभात झा ने अपनी टीम में जगह दी हैं। इनमें पूर्व केन्द्रीय मन्त्री प्रहलाद पटेल एवं विधायक द्वय श्रीमती शशि ठाकुर को कार्यकारिणी सदस्य और नीता पटेरिया को प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया हैं। प्रदेश के चार सांसदों को भाजपा ने विधायक बनाया था जिनमें से तीन को तो शिवराज ने मन्त्री बना लिया लेकिन ना जाने क्यों नीता पटेरिया मन्त्री नहीं बन पायीं हैं। प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष बनने के बाद अब बची कुची संभावनायें भी भाजपायी समाप्त ही मान रहें हैं।ऐसा सौतेला व्यवहार महिला हितेषी मुख्यमन्त्री की छवि बनाने वाले मुख्यमन्त्री शिवराज मामा ने क्यों कियार्षोर्षो यह लोगों की समझ से परे हैं। लेकिन नीता का प्रदेश स्तर का पदाधिकारी बनना भी अखबारों की सुर्खियां बन रहा। समाचार पत्रों में छपा कि यह समाचार कि नीता के अध्यक्ष बनने के समाचार को सुनते ही कार्यकत्ताZओं ने खुशी मनायी और फटाके फोड़े। याने फटाके फोड़ने वाले नीता जी के पास अभी भी बचे हैं। वरना लोगों को तो उस दिन की भी याद हैं कि जब दो बार लगातार विधायक चुने गये नरेश दिवाकर की टिकिट काटकर नीता पटेरिया को टिकिट देने का समाचार आया था तो शहर के ना जाने किन किन लोगों ने और कहां कहां कितने फटाक फोड़े थे और चुनाव जीतने तक यह जोश बना भी रहा था। लेकिन उसके बाद से फटाके फोड़ने वाले कई नेताओं के दिल ही फट गये थे। कुछ के दिल तो चुनाव जीतने के बाद ही फट गये तो कुछ के संगठन चुनाव के बाद तो कुछ के नगरपालिका चुनाव के बाद फट गये थे। उनकी रक्षात्मक राजनैतिक पाली और समर्थकों के समर्थन में खुलका कर ना आने से लोग निराश हो चले थे। तो कई तो यह कहने में भी कोई संकोच नहीं कर रहे थें कि मैडम मन्त्री बनने के लिये अपने किसी भी समर्थक के लिये किसी से लड़ना ही नहीं चाहती हैं और अपना विरोध नहीं बढ़ाना चाहती हैं। इसी भावना को रोकने के लिये फिर वे नगर भाजपा अध्यक्ष पद के लिये अपने समर्थक प्रेम तिवारी के लिये ऐसे अड़ी कि उन्हें बनवाकर ही छोड़ा। अभी जिले की कार्यकारिणी घोषित नहीं हुयी हैं अब यह तो जिले की कार्यकारिणी की घोषणा से ही पता चलेगा कि किसकी कितनी चली हैं
युवा इंका की शहर एवं ग्रामीण कार्यकारिणी घोषित -
जिला युवक कांग्रेस शहर और गा्रमीण के अध्यक्षो की नियुक्ति हुये काफी समय हो गया था। ऐसा लगने लगा था कि मानो दोनों के बीच अपनी कार्यकारिणी ना बनाने की प्रतियेगिता चल रही थी। फिर ना जाने ऐसा क्या हुआ कि कार्यकारिणी बनाने की ऐसी होड़ मची कि कुछ ही दिनों के अन्तर में दोनों की ही कार्यकारिणी अखबारों में छप गईं। यह प्रतियोगता भी मजेदार ही रही।कार्यकारिणी बनाने वाली प्रतियोगिता में नगर अध्यक्ष देवीसिंह चौहान जीते तो ना बनाने वाली प्रतियोगिता में ग्रामीण अध्यक्ष रंजीत यादव की जीत हुयी क्योंकि उन्होंने बाद में बनाायी। दोनों ही कार्यकारिणी में सौं सौ से ज्यादा ही नेताओं को उपकृत किया गया हैं। वैसे भी विपक्ष के दौर में ऐसा होना जरूरी भी हैं क्योंकि आन्दोलनों में लोगों की पार्टी को जरूरत होती हैं। लेकिन पिछला अनुभव इस बारे में अच्छा नहीं हैं। लंबी चौड़ी कार्यकत्ताZओं और पदाधिकारियों की फौज होने के बाद भी लोग कम ही आते हैं। पहले तो ऐसा हुआ करता था कि नेता कार्यकत्ताZओं को पद देकर उपकृत करते थे और कार्यकत्ताZ डट कर पार्टी का काम कर इस उपकार का बदला चुकाते थे। अब तो कांग्रेस में मानो ऐसा हो गया कि कार्यकत्ताZ बाडभ् में पद लेकर नेताओं को उपकृत कर उन्हें अपनी कार्यकारिणी बनाने का मौका देकर उन्हें उपकृत करता हैं ताकि वे बिना कार्यकारिणी बनाये ही भूतपूर्व ना हो जायें। इसलिये ही जिले में कांग्रेस की ऐसी गत बन गई हैं कि जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
जगतगुरू की चिन्ता ने नेताओं को खड़ा किया कठघरे में -
हाल ही में जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी सरस्वती महाराज के गनेशगंज की धर्म सभा में दिये गये प्रवचनों के समाचार राजनैतिक क्षेत्रों में काफी चर्चित हैं। महाराजश्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि भले ही इस जिले के राजनीतिज्ञों की उदासीनता और इस जिले के प्रति उनके मन में उपजे भाव के चलते यहां का संसदीय क्षेत्र समाप्त हो गया हो, यहां बनने वाली चतुष्गामी सड़क का मामला अटक गया हो या फिर बड़ी रेल लाइन जो श्रीधाम (गोटेगांव) से रामटेक तक घोषित होने के बाद भी भुला दी गई हो ,किन्तु हमारे भगवान और भगवती राजनेताओं की तरह नहीं हैं उन्हें इस जिले के हितो का पूरा पूरा ध्यान हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं 4 जनवरी 1996 को देश के तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी.व्ही.नरसिंहाराव ने महाराजश्री की उपस्थिति में उनकी तपोस्थली झाोतेश्वर में तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद और केन्द्रीय मन्त्री कु. विमला वर्मा की मांग पर श्रीधाम से रामटेक तक नयी बड़ी रेल लाइन बनाने की घोषणा की थी।तत्काल ही उसका ट्रेफिक सर्वे भी हो गया था। लेकिन उसके बाद से आज तक इस दियाा में सरकार ने कोई कारगर पहल नहीं की जबकि जिले में चले पत्र लिखो अभियान के तहत महाराजश्री ने स्वयं पत्र लिखकर इस अभियान को अपना आशीZवाद दिया था। लेकिन गुरू इच्छा को दरकिनार कर दूसरी मांग उठाने वाले चेलों की भी कमी नहीं रहीं हैं।अपने आप को महाराजश्री का अनन्नय भक्त बताने कुछ चेले तो ऐसे भी हैं जो इन तीनों ही चीजों के लिये दोषी हैं जिनसे महाराश्री का मन दुखी हैं। महाराज श्री की यह पीड़ा की अभिव्यक्ति अत्यन्त ही ध्यान देने योग्य हैं। आज के और इसके पहले भी इस जिले के अधिकांश जनप्रतिनिधि रहें नेताओं को महाराजश्री का आशीZवाद प्राप्त रहें हैं फिर चाहे वे कांग्रेस के हों या भाजपा के हों। कभी किसी ने महाराज को अपना बताने के लिये अपने यहां यज्ञ करवाया हो या किसी ने महाराजश्री की शोभा यात्रा में पैदल चल कर अपने आप को उनका भक्त बताया हो, या फिर अपने घर बुलाकर पादुका पूजन करवाया हो,या फिर भरी धर्म सभा में महाराजश्री के प्रति अपनी अगाध श्रृद्धा का बखान किया हो। आज ऐसे तमाम नेताओं को अपना स्वयं ही मूल्यांकन करना चाहिये कि महाराजश्री ने जिले की जिन तीन चीजों के जाने का या अभी तक ना बन पाने का दु:ख व्यक्त किया हैं उसके लिये वे कितने दोषी हैंर्षोर्षो हर नेता को अपने गरेबां में झांक कर देखना चाहिये कि जिन चीजों के ना आने से गुरू का दिल द्रवित हुआ हैं उसके लिये वे कितने दोषी हैं। अभी भी वक्त हैं कि वे इसके लिये प्राश्चित कर लें और गुरू इच्छा के अनुरूप जो हो सकता हैं उसके लिये प्रयास कर लें अन्यथा वे अपने आप को पाखंड़ी राजनैतिक चेले की उपमा मिलने से बचा नहीं पायेंगें।

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