23.7.10
निशंक के तरकश से निश्छल फैसले
देहरादून,। मुख्यमंत्री द्वारा मंगलवार को बुलायी गयी कैबिनेट की बैठक में जो निर्णय लिये गये उन्हे निशंक सरकार द्वारा एक तीर से दो निशाने के रूप में देखा जा रहा है। इस निर्णय से निशंक ने जहां एक ओर बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खोले हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में काबिज भाजपा को इसक ा लाभ 2012 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी मिलना तय है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिन निशंक मंत्रिमंडल की बैठक में दो ऐसे महत्वपूर्ण तथा बहुप्रतीक्षित निर्णय लिये उनकी प्रदेश भर के लोगों में सराहना की जा रही है। प्रदेशवासी जो अलग राज्य बनने के बाद भी रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन के लिए मजबूर थे उनके लिए निशंक सरकार ने अपने ही प्रदेश में रोजगार का रास्ता खोल दिया है। इतना ही नहीं उत्तराखण्ड मेें यह आशंका घर कर रही थी कि उन्हे राज्य बनने का कोई लाभ नहीं मिला और वे राज्य बनने के बाद भी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे कि उनकी पहुंच नहीं है अथवा वे प्रदेश में रोजगार नहीं पा सकते, सरकार के इस निर्णय से ऐसे लोगों में व्याप्त हताशा को भी विराम लगा है। प्रदेश सरकार का यह निर्णय राज्य वासियों के लिए रोजगार के अवसर लेकर तो आया है। राजनीतिक विश£ेषकों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से जहां उत्तराखण्ड राज्य की अवधारणा को बल मिला है वहीं इस निर्णय से कांग्रेस में बेचैनी भी साफ देखी जा रही है।
जहां तक राजनैतिक दलों के निणयों में स्वार्थ की बात की जाए तो शायद ही ऐसा कोई राजनीतिक दल होगा जो अपने भविष्य को संवारने और राजनीति में टिके रहने के लिए ऐसा कोई राजनीतिक फैसला न ले जो उसे दूरगामी परिणाम न दे। सो निशंक सरकार ने भी ऐसा ही किया उसके इस निर्णय से जहां बेराजगारों में रोजगार को लेकर संभावनायें बढ़ी है वहीं आगामी 2012 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को इससे महत्वपूर्ण उपलब्धि मिलने से कोई नहीं रोक सकता। इसे मुख्यमंत्री निशंक की राजनीतिक दूरदर्शिता अथवा उनके मंत्रिमंडल की राजनीतिक परिपक्वता ही कहा जाएगा कि उसने यह निर्णय किया।
जहां तक प्रदेश सरकार के दूसरे निर्णय की बात की जाए तो इसमें भी राज्य सरकार ने दूरदर्शिता तथा बेरोजगारों का ध्यान तो रखा ही है साथ ही सरकार ने पुरानी घिसे-पिटे रास्ते पर न चलते हुए प्रदेश के युवाओं के लिए राज्य में चल रहे आईटीआई, पालिटेक्रिक तथा बीटेक के पाठ्यक्रमों में भी नयापन लाने की कोशिश की है। इससे पहले प्रदेश में आजादी के बाद से वही घिसे-पिटे पाठ्यक्रम चलाए जा रहे थे जिनकी आज के आधुनिक समय में कोई आवश्यकता नहीं रह गयी थी अथवा वे पाठ्यक्रम आउटडेटेड हो गये थे। सरकार ने इन संस्थानों में आठ नये पाठ्यक्रम भी चलाये जाने को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार भी नहीं पडऩे वाला है।
कुल मिलाकर निशंक मंत्रिमंडल ने वह कदम उठाया है तो राज्य बनने से लेकर आज तक प्रदेश में काबिज कोई भी सरकार नहीं उठा पायी। राजनीतिक विश£ेषक निशंक सरकार द्वारा उठाये गये इस कदम को सही वक्त पर सही कदम बता रहे हैं।
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